एक तरफ दुनियाभर में फेसबुक के 5 करोड़ यूजर्स का डेटा चोरी होने की रिपोर्ट के बाद जांच शुरू हो चुकी है. फेसबुक और उसके मालिक जकरबर्ग से सफाई मांगी जा रही है. भारत में नए विवाद ने जन्म ले लिया है. मामला 'डेटाखोरी' का ही है और आरोप संगीन हैं. लेकिन बीजेपी और कांग्रेस जवाब के बजाए आरोप आरोप खेल रहे हैं.
प्रधानमंत्री के मोबाइल एप्लीकेशन NaMo एप से डेटा थर्ड पार्टी को साझा करने की रिपोर्ट सामने आई थी, फिर बीजेपी ने कांग्रेस पर डेटा को सिंगापुर में किसी कंपनी को शेयर करने का आरोप लगा डाला. हैरत की बात ये है कि दोनों में से अगर कोई एक आरोप भी सही साबित होता है तो नुकसान लोगों को ही होगा. इस बात की परवाह किए बगैर डेटाखोरी के प्रकरण को मजाकिया बनाया जा रहा है.
राहुल गांधी ने पीएम मोदी को ‘बिग बॉस करार दिया जो भारतीयों पर जासूसी करवाना चाहते हैं' लेकिन सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने जवाब देने के बजाए छोटा भीम भी जानता है कि ये जासूसी नहीं है.' मतलब जवाब नहीं मिलेगा आरोप के बदले कटाक्ष मिलेगा.
2018 से 2019 के बीच देश में कई विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव सामने हैं, फेसबुक से लेकर एप्लीकेशन तक की डेटा चोरी का आरोप है. जांच कोई नहीं कराना चाहता, महज जुबानों से जंग लड़ने की तैयारी में हैं पार्टियां. जुबानी जंग ही सोशल मीडिया पर एक दूसरा रूप ले रही हैं, जहां दोनों पार्टी के समर्थक-विरोधी एक कदम आगे बढ़कर फोटो, वीडियो, मीम के जरिए नया ‘फेक न्यूज’ वाला माहौल तैयार कर रहे हैं.
जाहिर है इसका कुछ नतीजा तो निकलेगा, इसका असर आप पर और हम पर पड़ेगा. सबसे बड़ी बात लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा. स्टेप बाय स्टेप इस डेटाखोरी के जंग को समझते हैं....
बीजेपी-कांग्रेस के बीच डेटाखोरी की लड़ाई कब शुरू हुई?
हाल ही में 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स के डेटा को चोरी करने की रिपोर्ट सामने आई थी. आरोप कैंब्रिज एनालिटिका नाम के एक फर्म पर लगे, ये वही फर्म है जो ट्रंप के चुनावी अभियान समेत कई ऐसे चुनावों में 'दखलंदाजी' कर चुका है. फिर इसके तार भारत से जोड़े गए तो पता चला कि कैंब्रिज एनालिटिका ने खुद ही ये घोषित कर रखा है कि 2010 में उसने बिहार के विधानसभा चुनाव में अपने 'क्लाइंट' को जीत दिलाई थी.
इसके बाद से ही शुरू हो गया, देश की दो सबसे बड़ी पार्टियो के बीच 'डेटा पर घमासान'. बीजेपी ने कहा सोशल मीडिया के लिए राहुल गांधी ने और 2019 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने कैंब्रिज एनालिटिका से मदद ली. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी, कैंब्रिज एनालिटिका की क्लाइंट रह चुकी है. बता दें कि भारत में कैंब्रिज एनालिटिका की सहयोगी कंपनी के चीफ हैं अमरीश त्यागी, जो एनडीए गठबंधन के सहयोगी जेडीयू के नेता केसी त्यागी के बेटे हैं.
'डेटाखोरी' पर घमासान पार्ट-2 कब शुरू हुई?
बीजेपी पर आरोप
फेसबुक का विवाद थमा भी नहीं था कि नया विवाद शुरू हो गया. दरअसल, आधार डेटा की सिक्योरिटी में तमाम झोल बताने वाले फ्रैंच रिसर्चर ने एक के बाद एक किए गए ट्वीट में बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोबाइल एप्लिकेशन इस्तेमाल करने वाले यूजर्स का पर्सनल डेटा उनकी बिना जानकारी के थर्ड पार्टी के साथ शेयर किया जा रहा है. निजी जानकारी एक थर्ड पार्टी डोमेन in.wzrkt.com के साथ शेयर की जाती है, जो कि अमेरिकी कंपनी क्लेवर टैप से संबंधित है.
ये रिपोर्ट आते ही राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर तगड़ा हमला कर दिया. राहुल ने ट्वीट किया कि बिग बॉस को भारतीयों की जासूसी का शौक है और इसके लिए नमो ऐप का इस्तेमाल किया जा रहा था. राहुल ने तो बीजेपी से कहा कि वो फौरन नमो ऐप को डिलीट करे. इसके लिए राहुल ने #DeleteNaMoApp के साथ ट्वीट किया है. बता दें कि बीजेपी का NAMO ऐप 50 लाख डाउनलोड हो चुका है.
बीजेपी ने भी कांग्रेस पर 'डेटाखोरी' के आरोप लगा दिए
बीजेपी ने कांग्रेस के ही ऐप पर डेटाखोरी के आरोप लगा दिए. बीजेपी के आईटी हेड ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का ऐप यूजर्स के डेटा को सिंगापुर में विदेशी कंपनियों को भेज रही है. बीजेपी ने कांग्रेस के ऐप को प्ले स्टोर से हटा लेने पर सवाल उठाए हैं. राहुल के बिग बॉस वाले कटाक्ष पर जवाब दिए बिना बीजेपी कैसे रह जाती.
केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि छोटा भीम भी जानता है कि ये जासूसी नहीं है. इस जुबानी जंग का अखाड़ा ट्विटर बन गया है, बीजेपी ने कहा कि आरोपों के सामने आने के बाद उसने अपने एप को हटा लिया है. कांग्रेस ने दावा किया कि उसने ऐसा नहीं किया। उसकी साइट ने काम करना बंद कर दिया है और सदस्य बनाने के काम को पार्टी की आधिकारिक वेबसाइट के जरिये किया जा रहा है. कांग्रेस के मुताबिक उसके सिर्फ 15 हजार ऐप ही डाउनलोड हुए थे.
ईरानी ने ये भी कहा कि अब चूंकि टेक्नॉलजी की बात हो रही है, राहुल गांधी जी, क्या आप जवाब देना पसंद करेंगे कि क्यों कांग्रेस सिंगापुर सर्वर्स को डाटा भेज रही है जिस पर कोई भी टॉम, डिक (ऐरा-गैरा) और एनेलिटिका पहुंच सकता है.
अब जानिए 'मतलब की बात'
फेसबुक ने डेटा चोरी की बात स्वीकार कर ली है जिसका इस्तेमाल चुनावी धांधली में हुआ. एक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टंबलर ने भी माना कि चुनावों में इन प्लेटफॉर्म के जरिए धांधली होती है. दुनियाभर में जांच शुरू हो चुकी है. अब देश की दो सबसे बड़ी और शक्तिशाली पार्टियां भी एक दूसरे पर डेटाखोरी के आरोप लगा रही हैं, तो नुकसान किसका हो रहा है? लोगों के दिल में कुछ सवाल साफ हैं-
- डेटा चोरी रोकने के लिए हमारे सरकार के पास क्या कारगर कदम हैं, अगर हैं तो वो लोगों को कितना पता है?
- बीजेपी-कांग्रेस अगर किसी ने भी डाटाखोरी की है, तो उसकी जांच कब और कैसे होगी?
- आम आदमी क्या पार्टियों पर भरोसा करना बंद कर दे
- फेसबुक से अगर डेटाचोरी हो रहा है, सरकार उसपर लगाम नहीं लगा पा रही है तो क्या फेसबुक और उस जैसे दूसरे प्लेटफॉर्म डिलीट कर दें!
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