राजनीतिक कार्यकर्ता शेहला राशिद ने गुरुवार को कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों के बारे में अपने बयान पर कायम हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबूत वह तब देंगी, जब भारतीय सेना उनके दावों पर जांच शुरू करेगी.
शेहला राशिद ने बीते 18 अगस्त को दावा किया था कि भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर में अंधाधुंध लोगों को पकड़ रही है, मकानों पर छापे मार रही है और लोगों को प्रताड़ित कर रही है.
उनसे जब इन विवादास्पद दावों के बारे में सबूत पूछा गया जिस पर भारतीय सेना की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आयी थी, शेहला राशिद ने कहा-
‘‘मैं सबूत तब दूंगी, जब भारतीय सेना एक जांच टीम का गठन करेगी. मैंने आपको अपना बयान दे दिया है. क्या सेना ने कोई जांच शुरू की है?’’
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष ने कहा,
‘‘मैंने जो कुछ कहा है कि वह लोगों के साथ प्रामाणिक बातचीत पर आधारित है जो कश्मीर से आते हैं और उनके झूठ बोलने का कोई कारण नहीं है. मैंने केवल एक नहीं बल्कि कई बयान दिये हैं. कश्मीर में लोगों के पास एलपीजी सिलेंडर, खाना पकाने की गैस खत्म हो रही है.’’
शेहला राशिद ने कहा कि अगर सेना जांच शुरू करे तो वह उसके सामने बयान देंगी और ‘‘उन्हें घटनाओं की जानकारी देंगी...वे कहां हुई हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें जांच शुरू करने दीजिये और यदि मैं जो कह रही हूं वह सच पाया जाता है तो भारतीय सेना को भरोसा देना चाहिए कि दोषियों को सजा होगी.’’
ट्विटर पर किये गए दावों के बारे में जब एक संवाददाता ने सबूत मांगे तो शेहला राशिद ने कहा, ‘‘मैं आपको सबूत क्यों दूं? मैं ट्वीट क्यों ना करूं? क्या मोदी सरकार के शासन में इसपर रोक है?’’
‘‘आपको कश्मीर जाना चाहिए और दिखाना चाहिए कि जमीन पर क्या हो रहा है. यहां धौंसपट्टी से कोई लाभ नहीं होगा. आप वह नहीं दिखा रहे जो मैं कह रही हूं. मैं अफवाह फैलाने के कृत्य में लिप्त नहीं हुई हूं. मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं. मैं अपने बयान पर कायम हूं.’’शेहला राशिद
उन्होंने एक पत्रकार से कहा, ‘‘प्रताड़ना हो रही है...कश्मीर में मानवाधिकार का घोर उल्लंघन हो रहा है. अगर आप सरकार के प्रवक्ता बनना चाहते हैं तो कृपया बनें. मैं सरकार की प्रवक्ता नहीं हूं. कृपया जाकर बीजेपी मुख्यालय में एक पद लें और चुनाव लड़ें.’’
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)