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एसिड हमले से पीड़‍ित लड़कियों के लिए मिसाल बनी 16 साल की डॉली

‘शीरोज हैंगआउट’ एक ऐसी जगह है, जो एसिड अटैक से पीड़‍ित लड़कियों को दुनिया का सामना करना सिखाती है.  

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आगरा की रहने वाली 16 साल की डॉली ने अपनी जिन्दगी की नई शुरुआत की है. दरअसल, जब वह तीसरी क्लास में पढ़ाई कर रही थी, तब 25 साल के एक पड़ोसी लड़के ने उस पर एसिड डाल दिया था.

अब डॉली ने हिम्‍मत जुटाकर छठी क्लास में एडमिशन लेकर स्कूल जाना शुरू कर दिया है. डॉली ने बताया, “प्रदीप भइया अक्सर मुझे स्कूल के रास्ते में परेशान किया करते थे. जब पापा ने उनको इस हरकत के लिए डांट लगाई, तो वह गुस्से में मेरे घर आए और मुझ पर एसिड फेंक दिया. बाद में उनको सजा भी मिली.’’

डॉली अब इसे बुरा सपना समझकर यह सब भूल जाना चाहती है और खूब पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहती है.

‘एक साल तक कमरे में बंद रही’

इस वारदात के बाद डॉली ने कभी नहीं सोचा था कि वो फिर स्कूल जा पाएगी.

मैं एक साल तक में अपने रूम से बाहर नहीं निकली. मेरे दोस्त और टीचर्स अक्सर मुझसे मेरे कमरे में ही मिलने आते थे. मुझे कोर्ट और हॉस्पिटल अपना चेहरा छुपाकर जाना पड़ता था. 2015 में दो साल बाद शीरोज हैंगआउट गई. वहां बहुत सारी लड़कियां काम करती थीं, जो मेरी जैसी थीं. उन सबसे मैंने बिना चेहरा छुपाएं घर से बाहर निकलना सीखा. मैंने सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म ‘अकीरा’ में भी एक छोटा-सा रोल किया है. 

शीरोज हैंगआउट आगरा में एक ऐसा संस्‍थान है, जो एसिड अटैक से पीड़‍ित लड़कियों द्वारा चलाया जाता है. ये इसमें अपना सामान्‍य जीवन जीती हैं.

डॉली अब पहले से ज्यादा मजबूत है

डॉली फिर से स्कूल जाने से बहुत घबरा रही थी, लेकिन दोस्त, परिवार और टीचर्स ने उसका हौसला बुलंद कर दिया. डॉली ने कहा,

मेरे दोस्त मुझे दोबारा स्कूल जाते देख बहुत खुश हुए.

डॉली की सहेली ज्योति का कहना है, “डॉली पहले से भी बेहतर इंसान हो गई है. हम उसका खुले दिल से स्वागत करते हैं.’’

कमला शिशु स्कूल की प्रिंसिपल अर्चना अग्निहोत्री ने बताया कि ‘शीरोज’ ने डॉली का जीवन बदल दिया है और उसमें पहले से ज्यादा आत्मविश्वास पैदा कर दिया है. उन्‍होंने बताया कि उसकी मदद के लिए स्‍कूल एक साल तक फीस नहीं ले रहा है. डॉली की मां ने भी स्कूल भेजने के लिए काफी कोशिश की.

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