राइजिंग कश्मीर अखबार के एडिटर शुजात बुखारी की हत्या ने पूरे कश्मीर को हिलाकर रख दिया है. बुखारी के करीबी दोस्त फिल्म मेकर मुश्ताक अली अहमद खान को गहरा सदमा लगा है. उन्हें इस बात का यकीन नहीं हो रहा है कि उनका खास दोस्त, जो कश्मीर के हक के लिए लड़ रहा था, वहां की अवाम की आवाज सालों से उठा रहा था, उसका इस बेदर्दी से कत्ल कर दिया गया.
क्विंट हिंदी से खास बातचीत में मुश्ताक ने शुजात बुखारी से जुड़ी अपनी यादों को साझा किया.
मुश्ताक अली बताते हैं कि शुजात बुखारी जो लिखते थे, वो कश्मीर के किसी एक ग्रुप के पक्ष में नहीं, बल्कि सबकी आवाज को लोगों के सामने लाने की कोशिश करते थे. वो सिर्फ एक पत्रकार ही नहीं, बल्कि एक एक्टिविस्ट भी थे. वो कश्मीर की संस्कृति को भी बढ़ावा देने का काम करते थे और थिएटर के लिए भी काम किया करते थे.
‘’’मैं थिएटर से जुड़ा हुआ हूं. शुजात बुखारी हमारी भी मदद किया करते थे. कुछ दिन पहले ही हमारी मुलाकात एक इफ्तार पार्टी में हुई थी. मैंने उनको गले लगाकर थैंक्यू बोला, तो वो पूछने लगे क्यों? मैंने कहा कि आप अपने अखबार में हमारी कवरेज करते हैं, तो उन्होंने कहा, ये तो मेरी ड्यूटी है. मैं उनके अखबार को अपना अखबार मानता था.
मुश्ताक कहते हैं, ''कश्मीर को शुजात जैसे लोगों की जरूरत है, लेकिन हम ऐसे लोगों को आए दिन खोते जा रहे हैं. उनका जाना कश्मीर के लिए बड़ी क्षति है. वो लोगों की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहते थे, खासतौर पर यंग जनरेशन को गाइड करते थे. यहां तक कि नौकरी के लिए भी उनकी मदद करते थे. उनका जाना पूरे कश्मीर के लिए बड़ा दुखद है.''
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