जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा रिजर्व बैंक हर नोट में कुछ ऐसा वादा करता है "मैं धारक को इतने रुपए (करेंसी की वैल्यू) अदा करने का वचन देता हूं" इस वचन के ठीक नीचे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर के दस्तखत होते हैं.
ध्यान दिया जाए कि ये वचन सिर्फ नए करारे करारे नोट के लिए ही नहीं बल्कि खराब हो गए, गंदे, मुड़े-तुड़े सभी तरह के नोटों पर भी लागू होता है. इसका बाकायदा नियम है रिजर्व बैंक एक्ट 1934 के मुताबिक खराब, गंदे और मुड़े हुए नोटों को बदलना बैंकिंग सिस्टम की ड्यूटी है.
क्या कहता है नोटों की वापसी नियम?
ऐसा लग रहा है कि रिजर्व बैंक अपने वादे से मुकर रहा है. नोटबंदी के बाद 2000 और 500 रुपए के नए नोटों को आए 14 महीने से ज्यादा हो चुका है. पर रिजर्व बैंक ने गंदे, बदरंग, और खऱाब हो जाने पर उनकी नोट वापसी का नियम नहीं बनाए हैं.
रिजर्व बैंक ने नोट वापसी नियम नवंबर में नोटबंदी से कई महीने पहले जुलाई 2016 में अपडेट किए थे. पर नोटबंदी के बाद नई करेंसी के लिए नोट वापसी के नियम अपडेट नहीं किए गए हैं.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 (1934 का 2) के मुताबिक गंदे, कटे-फटे नोटों को बदलने के लिए बैंकिंग सिस्टम जनता के प्रति जिम्मेदार है.
रिजर्व बैंक के कदम का इंतजार
‘द हिंदू’ के मुताबिक अगर नोट-रिफंड नियम तैयार किए जाएंगे तो या तो आरबीआई कार्यालय या चुनिंदा बैंक ब्रांचों में ही नोट एक्सचेंज हो सकेंगे.
बैंकों के मुताबिक आरबीआई नियमों को संशोधित करने तक बैंक कुछ नहीं कर सकते. साथ ही गंदे और मुड़े हुए नोटों के लिए कितनी धन वापसी होगी इसका पैमाना भी नहीं तैयार हुआ है. इतनी देरी हैरान करने वाली है क्योंकि 500, और 2000 रुपये के नोट के लॉन्च के बाद अब तक 50, 200 और 10 रुपये के नए नोट मार्केट में आ चुके हैं.
द हिंदू ने बैंक के एक अधिकारी के हवाले से बताया जब तक रिजर्व बैंक नए नियमों की सूचना नहीं देता तब तक वो मजबूर हैं और गंदे और मुड़े या खराब हो गए नोटों की बदली नहीं कर सकते.
अखबार ने सूत्रों के मुताबिक बताया है कि नोट वापसी के नियमों में बदली के नियम बनाने में वक्त लग रहा है क्योंकि 2000 और 500 के नए नोटों का साइज पुराने नोटों से अलग है इसलिए खराब हुए नोटों के नियम बनाने में टाइम लग रहा है.
लेकिन लोगों में नाराजगी है क्योंकि रिजर्व बैंक के रिफंड काउंटर में भी ₹2,000 और ₹500 के नोटों स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं.
(इनपुट- द हिंदू)
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