- मुझे देश पर पूरा भरोसा, 2019 का चुनाव हम ही जीतेंगे
- अच्छे दिन का हाल, शाइनिंग इंडिया जैसा होगा
- 2019 में मुझे यूपीए की जीत का पूरा भरोसा
- पार्टी चाहेगी तो 2019 का चुनाव लड़ूगी
- प्रियंका राजनीति में आने को लेकर खुद फैसला लेंगी
यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश के मौजूदा सामाजिक और राजनीतिक हालातों पर चिंता जताई है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में सोनिया गांधी ने मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि देश की राजनीति आज एक अलग दौर से गुजर रही है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में बहस की खुली छूट होनी चाहिए, लेकिन आज के दौर में विरोधी आवाजों को दबाया जा रहा है.
सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज संसदीय बहुमत को कुछ भी करने का लाइसेंस माना जा रहा है, ऐसा नहीं होना चाहिए. सोनिया ने कहा कि वह देश से पूछना चाहती हैं कि क्या मई 2014 से पहले देश एक ब्लैकहोल था और सिर्फ इस तारीख के बाद ही देश ने सब कुछ किया है.
‘लोकतंत्र में खुली बहस की छूट होनी चाहिए’
सोनिया गांधी ने कहा कि राजनीति आज एक अलग दौर से गुजर रही है. लोकतंत्र में खुली बहस की छूट होनी चाहिए. लेकिन आज अभिव्यक्ति की आजादी पर खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष विरोध की आवाजों को दबाने की कोशिश कर रहा है और संविधान के सिद्धांतों पर प्रहार किया जा रहा है.
सोनिया ने कहा कि सत्ता पक्ष राजनीतिक दलों पर जांच एजेंसियों के जरिए दवाब बना रहा है. उन्होंने कहा कि भड़काऊ बयान सत्ता पक्ष की रणनीति का हिस्सा है. सत्ता में बैठे लोग भड़काऊ बातें कर रहे हैं. आरटीआई कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है.
‘विविधिता में एकता ही लोकतंत्र की ताकत’
सोनिया गांधी ने कहा कि विविधिता में एकता ही लोकतंत्र की ताकत है. लेकिन आज वोट के लिए समाज को बांटने की कोशिश की जा रही है. बीते चार सालों में महिलाओं और दलितों के प्रति अत्याचार बढ़े हैं.
सोनिया ने कहा, ‘संविधान के मूलभूत सिद्धांत पर हमला किया जा रहा है. वोटों के लिए समाज को बांटने की कोशिश की जा रही है. हमारे सोशल डीएनए में बदलाव किया जा रहा है’
उन्होंने कहा कि आज संवैधानिक संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है.
‘इतिहास को दोबारा लिखने की कोशिश की जा रही है’
कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज इतिहास को अलग ढंग से लिखने की कोशिश की जा रही है. ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जैसे भारत का विकास सिर्फ चार सालों में ही हुआ है.
उन्होंने कहा कि ये श्रेय लेने का मौका नहीं है और ना ही ये राजनीतिक मंच है लेकिन वह यह बताना चाहती हैं कि कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को कम बताने की कोशिश की जा रही है.
- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सामने आसान लक्ष्य नहीं है
- 2014 में हारने पर सोनिया बोली, दस साल बाद एंटी इंकबैंसी होना सामान्य
- बीजेपी प्रोपैगेंडा फैलाने में कामयाब रही
- संसद में अहम मुद्दों पर चर्चा से भागती है सरकार
- हमें संसद में बोलने नहीं दिया जाता है, संसद में हंगामे के लिए सरकार जिम्मेदार है
- इंदिरा गांधी मुझे हिंदी में बात करने को कहती थीं
- शुरुआत में हिंदी बोलने में मुश्किल आई, अब अच्छी हिंदी बोल सकती हूं
- कांग्रेस मुश्किल में थी, तो राजनीति में आने का फैसला लेना पड़ा
- अगर मैं राजनीति में नहीं आती, तो लोग कायर कहते
- PM न बनने पर बोलीं सोनिया- भरोसा था कि मनमोहन मुझसे बेहतर PM होंगे
- BJP ने कांग्रेस को मुस्लिम पार्टी की तरह पेश किया
- हम अपने अच्छे कामों को जनता तक नहीं पहुंचा पाए
‘नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को पहुंचा नुकसान’
सोनिया ने नोटबंदी का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार के नोटबंदी को लेकर लिए गए फैसले से अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुंचा. देश में किसानों से लेकर व्यापारियों तक, हर वर्ग की परेशानियां बढ़ीं.
उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी की समस्या पहले से ज्यादा गंभीर हो गई है. मोदी सरकार की नीतियों को लेकर उन्होंने कहा कि आज ये हाल है कि ‘एक भ्रम टूटता है तो दूसरा खड़ा हो जाता है.’ गांधी ने कहा कि अर्थव्यवस्था का विकास समावेशी होनी चाहिए.
‘राहुल के पूछने पर सलाह देती हूं’
कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह पद छोड़ने के बाद चिंतामुक्त हो गई हैं. राहुल गांधी को सलाह के मुद्दे पर सोनिया ने कहा कि वह अपनी राय किसी पर थोपने की कोशिश नहीं करती है. राहुल अपनी जिम्मेदारियां समझते हैं. सभी नेताओं का काम करने का अपना तरीका होता है, ऐसे ही राहुल का भी काम करने का अपना तरीका है. लिहाजा यह जरूरी है कि उन्हें अपने तरीके से काम करने दिया जाए.
सोनिया ने राहुल की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए कई कदम उठाए हैं.
'सभी पार्टियों को एकजुट करना मुश्किल काम'
सोनिया गांधी ने कहा कि उनकी कोशिश है कि वह देश में एक सेक्युलर फ्रंट को तैयार करने में भूमिका अदा करें, जिससे देश की राजनीति को अच्छी दिशा मिलती रहे. इसी सिलसिले में उन्होंने 13 मार्च को विपक्षी दलों के नेताओं को डिनर पर बुलाया है. गांधी ने कहा कि उन्हें पता है कि सभी पार्टियों को एकजुट करना मुश्किल काम है.
2019 चुनाव में बीजेपी का जुमला होगा मुद्दा
सोनिया ने कहा कि 2019 में मुख्य मुद्दा बीजेपी द्वारा बीते 5 साल के दौरान किए गए वादे होंगे क्योंकि पूरा कार्यकाल खत्म होने के बाद भी उनके सारे वादे सिर्फ सुनहरे वादे ही रह गए. मुझे पूरा भरोसा है कि बीजेपी के अच्छे दिन एक बार फिर उनके लिए 'शाइनिंग इंडिया' बनने जा रहा है.
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