लोकसभा में भारी हंगामे के बीच बुधवार को विशेष सुरक्षा समूह यानी एसपीजी (संशोधन) अधिनियम पास कर दिया गया. इस दौरान कांग्रेस ने सदन से वॉक आउट कर दिया. इस बिल को पास करने के दौरान एसपीजी कानून में संशोधन को जरूरी करार देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि एसपीजी अधिनियम संशोधन विधेयक लाने का मकसद एसपीजी और प्रभावी बनाना और कानून के मूल उद्देश्य को बहाल करना है. जानिए इस संशोधन बिल में किन प्रावधानों को शामिल किया गया है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एसपीजी अधिनियम में जिन संशोधनों को मंजूरी दी है, उनके मुताबिक -
- प्रस्तावित विधेयक में पूर्व प्रधानमंत्रियों के परिवार के सदस्यों को एसपीजी सुरक्षा के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव किया गया है.
- नए कानून से यह अनिवार्य हो जाएगा कि एसपीजी सुरक्षा केवल प्रधानमंत्री को दी जाए और उनके आधिकारिक निवास पर उनके साथ रहने वाले तत्काल परिवार के सदस्य ही इसमें शामिल हों.
- पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके तत्काल परिवार के ऐसे सदस्यों को एसपीजी सुरक्षा दी जाएगी, जो उनके साथ आवंटित आवास पर रहते हैं. उन्हें एसपीजी सुरक्षा प्रधानमंत्री का पद त्यागने के पांच साल के अंतराल तक मुहैया कराई जाएगी.
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को हत्या के बाद उनके परिवार के सदस्यों को एसपीजी का सुरक्षा घेरा मुहैया कराया गया था. इनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं. इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार ने विस्तृत सुरक्षा आकलन के बाद इसे वापस लेने का फैसला किया. गांधी परिवार को अब जेड-प्लस सुरक्षा मुहैया की गयी है, जिनमें सीआरपीएफ के जवान शामिल होते हैं.
इससे पहले केंद्र सरकार ने अगस्त महीने में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दी गई स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप सुरक्षा वापस ले ली थी.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पिछले हफ्ते गांधी परिवार के सदस्यों से एसपीजी सुरक्षा हटाने के सरकार के फैसले पर कहा था कि यह राजनीति का हिस्सा है जो होती रहती है
फिलहाल देश में केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करीब 4000 अधिकारियों और जवानों वाले एसपीजी बल की सुरक्षा मिली हुई है. नियमों के तहत एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों के काफिले में सुरक्षाकर्मी, उच्च तकनीक वाले वाहन, जैमर और एंबुलेंस आदि शामिल होते हैं.
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