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गोरक्षा के हल्ले में गोशालाओं की हालत देख कर सिहर जाएंगे आप 

ज्यादातर गोशालाओं में दुधारू पशुओं का बेहद बुरा हाल 

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देश में जिन गोशालाओं को गायों की देखभाल के लिए बेहतरीन जगहों के तौर पर पेश किया जा रहा है वे भारी बदहाली की शिकार हैं. ये गोशालाएं डेयरी बन गई हैं, जहां खराब हालात में रखे पशुओं का दूध निकाल कर बाजार में बेचा जाता है. फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन यानी FIAPO की स्टडी से देश के कई शहरों की गोशालाओं की बेहद खराब हालत का खुलासा हुआ है. 13 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की गोशालाओं की स्टडी के दौरान पता चला कि खराब हालात में रखी गायों का सिर्फ दूध निकाला जा रहा है.

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तेरह राज्यों में हुई स्टडी के मुताबिक गोशालाएं बदहाल

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक FIAPO की टीम ने दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और गोवा की गोशालाओं का जायजा लिया. टीम ने पाया कि ज्यादातर गोशालाएं डेयरी बन गई हैं.

66 फीसदी गोशालाओं में गाय और बछड़ों को अलग-अलग कर दिया जाता है. 86 फीसदी बड़े होने पर ब्रीडिंग कराने के काम आते हैं. 26 फीसदी बछड़ों को दूध दूहने के वक्त गाय के पिछले पैरों के साथ बांध दिया जाता है. आधे से अधिक गोशालाओं  में पशुओं को बांधने की रस्सी की लंबाई एक मीटर से भी कम थी. इससे ये बमुश्किल अपना सिर उठा पाते थे. 76 फीसदी गोशालाओं पशु लगभग पूरे दिन बंधे हुए थे. इनमें से किसी भी गोशाला के स्टाफ को पशुओं की देखभाल की ट्रेनिंग नहीं मिली थी. 

FIAPO की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर वरदा मेहरोत्रा ने कहा कि भारतीयों में अमूमन दुधारू पशुओं को प्रति करुणा और दया भाव रहता है. इसलिए भारत में कानून के तहत सरकारी गोशालाएं बनाई गई हैं. गोरक्षा के लिए कानून है. लेकिन पशुओं की देखभाल की स्थिति इतनी खराब है कि इन्हें दूध बेचने की डेयरी ही कहा जा सकता है. कुछ गोशालाओं में जहां स्थिति थोड़ी अच्छी है, वे अपने ही बोझ से चरमरा रही हैं. FIAPO ने कुछ ऐसे सुझाव दिए हैं जिनसे गोशाओं के लिए ज्यादा संसाधन जुटाए जा सकें और इनकी हालत सुधरे.

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