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सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए मनोनीत, पीएम मोदी ने बधाई संदेश में क्या कहा?

पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा- "सामाजिक कार्य, परोपकार और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सुधा जी का योगदान बहुत बड़ा और प्रेरणादायक रहा है."

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भारत
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लेखिका और समाजसेवी सुधा मूर्ति (Sudha Murty) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. पीएम मोदी ने महिला दिवस के मौके पर इसकी घोषणा की. सुधा मूर्ति को बधाई देते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राज्यसभा में उनकी उपस्थिति देश की 'नारी शक्ति' का एक शक्तिशाली प्रमाण है.

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पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा- "मुझे खुशी है कि भारत के राष्ट्रपति ने सुधा मूर्ति जी को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. सामाजिक कार्य, परोपकार और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सुधा जी का योगदान बहुत बड़ा और प्रेरणादायक रहा है. राज्यसभा में उनकी उपस्थिति हमारे 'नारी शक्ति' का प्रमाण है. हमारे देश की नियति को आकार देने में महिलाओं की ताकत और क्षमता का उदाहरण है. उनके सफल संसदीय कार्यकाल की कामना करता हूं,''

भारत के राष्ट्रपति द्वारा कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवाओं में उनके योगदान के लिए 12 सदस्यों को संसद के उच्च सदन में नामांकित करते हैं.

पद्म भूषण और पद्मश्री से भी सम्मानित

सुधा मूर्ति के पति नारायण मूर्ति आईटी दिग्गज इंफोसिस के संस्थापक हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक उनके दामाद हैं. उन्हें पिछले साल राष्ट्रपति मुर्मू से सामाजिक कार्यों के लिए पद्म भूषण, भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार मिला.

2006 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. उन्हें साहित्य के लिए आरके नारायण पुरस्कार, 2011 में कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार से अट्टिमाबे पुरस्कार भी मिला है. और हाल ही में, 2018 में क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड्स द्वारा उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट से नवाजा गया है.

कर्नाटक के हावेरी में जन्म

सुधा मूर्ति का जन्म 1950 में उत्तरी कर्नाटक के हावेरी जिले के शिगगांव में हुआ था और उन्होंने बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से अपनी इंजीनियरिंग पूरी की, जहां उन्होंने सभी ब्रांच में फर्स्ट रैंक हासिल की. इसके साथ ही, उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स से स्वर्ण पदक प्राप्त किया. कर्नाटक में 60,000 से अधिक लाइब्रेरी उन्होंने स्थापित की.

इसके साथ ही, वे अंग्रेजी और कन्नड़ में किताबें लिखती हैं. उनकी पुस्तकों का सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है और देश भर में उनकी 26 लाख से अधिक प्रतियां बिकी हैं.

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