मोदी सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना 'सेंट्रल विस्टा' को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम आदेश दिया है. कोर्ट ने 10 दिसंबर को होने जा रहे संसद भवन के शिलान्यास कार्यक्रम को मंजूरी दी है लेकिन ये भी कहा है कि उस जगह पर किसी भी तरह का कंस्ट्रक्शन, तोड़फोड़ या पेड़ों का कटाव नहीं होना चाहिए.
बता दें कि 'सेंट्रल विस्टा' राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के दायरे में फैला है, इस परियोजना में संसद भवन की नयी इमारत का निर्माण शामिल है.
इस रीडेवलपमेंट प्लान से जुड़े कई मुद्दे सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं. जस्टिस ए.एम. खानविलकर ने कहा कि कोर्ट को उम्मीद थी कि वह एक विवेकपूर्ण मुकदमे पर सुनवाई कर रही है लेकिन प्रतिवादी ने इससे अलग ही नजरिया दिखाया. पीठ ने कहा, "आप कागजी कार्रवाई करें या नींव का पत्थर रखें, इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन कोई निर्माण नहीं होना चाहिए."
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को यह निर्देश साफ तौर पर समझना चाहिए कि जब तक मामला अदालत द्वारा तय नहीं किया जाता है, तब तक कोई निर्माण कार्य नहीं होगा. मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि जब तक कि अदालत अपना फैसला नहीं दे देती तब तक सेंट्रल विस्टा में कोई निर्माण, तोड़फोड़ या पेड़ों की शिफ्टिंग नहीं होगी.
सॉलिसिटर जनरल की इस टिप्पणी के बाद कोर्ट ने आदेश पारित किया. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर जिस तरह से 'आक्रामक' तरीके से आगे बढ़ रही है, उसपर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है.
नवंबर 2021 में प्रोजेक्ट पूरा होने का अनुमान
सेंट्रल विस्टा पर काम नवंबर 2021 तक पूरा होने की संभावना है, जिसे 2022 में भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सौंपे जाने की तैयारी है. सेंट्रल विस्टा में संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उत्तरी और दक्षिणी ब्लॉक की इमारते हैं, जिनमें महत्वपूर्ण मंत्रालय और इंडिया गेट भी हैं.केंद्र एक नए संसद भवन, एक नए आवासीय परिसर का निर्माण करके पुनर्विकास करने का प्रस्ताव कर रहा है, जिसमें कई नए कार्यालय भवनों के अलावा प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के कार्यालय भी शामिल होंगे.
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