ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्राइवेट सेक्टर कर्मचारियों के लिए ज्यादा पेंशन का रास्ता साफ 

निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सुप्रीम कोर्ट से राहत 

Updated
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए पेंशन में बढ़ोतरी का रास्ता साफ कर दिया है. सर्वोच्च अदालत ने भविष्‍य निधि संगठन (ईपीएफओ) की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जो केरल हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर की गई थी. इस फैसले में केरल हाई कोर्ट ने ईपीएफओ को आदेश दिया था कि वो रिटायर हुए सभी कर्मचारियों को उनकी आखिरी सैलरी के आधार पर पेंशन दे. बता दें कि अभी तक ईपीएफओ अधिकतम 15,000 हजार रुपये तक की सैलरी को आधार बनाते हुए ही पेंशन देता था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
अब पेंशन की गणना (नौकरी में बिताए गए कर्मचारी के कुल साल+2)/70xअंतिम सैलरी के आधार पर होगी. केंद्र सरकार ने साल 1995 में एम्प्लॉयीज पेंशन स्कीम (ईपीएस) की शुरुआत की थी. इसके तहत नियोक्ता को कर्मचारी की सैलरी का 8.33 फीसदी हिस्सा पेंशन स्कीम में जमा करना होता था. 
0

हालांकि यह योगदान 6500 रुपये के 8.33 फीसदी ( या 541 रुपये प्रति माह) तक ही सीमित था. इसके बाद मार्च 1996 में बदलाव किया गया कि अगर कर्मचारी फुल सैलरी के हिसाब से स्कीम में योगदान देना चाहे और नियोक्ता भी राजी हो तो उसे पेंशन भी उसी हिसाब से मिलनी चाहिए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2014 में हुआ था एक और बदलाव

सितंबर 2014 में ईपीएफओ ने अपने नियमों में एक फिर बदलाव किए. इस बार 15 हजार रुपये के 8.33% तक योगदान को मंजूरी मिल गई. हालांकि, इसके साथ यह नियम भी बनाया गया कि अगर कोई कर्मचारी अपनी पूरी सैलरी पर पेंशन चाहता है तो उसकी पेंशन वाली सैलरी पिछले 5 साल की सैलरी के हिसाब से तय होगी.

इससे पहले तक यह पिछले साल की औसत सैलरी के हिसाब से तय हो रहा था. बाद में केरल हाई कोर्ट ने सितंबर 2014 को हुए बदलाव को रद्द करके पुराना सिस्टम चालू कर दिया. इसके बाद पेंशन वाली सैलरी पिछले साल की औसत सैलरी पर ही तय होने लगी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×