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'स्वतंत्र न्यायपालिका का आखिरी गढ़ गिरा तो..'कॉलेजियम विवाद पर बोले जस्टिस नरीमन

SC Collegium vs Government: किरेन रिजिजू ने SC द्वारा सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

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भारत
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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और सरकार (SC Collegium vs Government), जजों की नियुक्ति को लेकर आमने-सामने है. इस बीच कॉलेजियम को लेकर कानून मंत्री किरेन रिजिजू ( Law Minister Kiren Rijiju) के बयान को पूर्व न्यायाधीश रोहिंटन फली नरीमन (Former Supreme Court judge Rohinton Fali Nariman) ने 'न्यायपालिका के प्रति निंदापूर्ण रवैया' करार दिया है. उन्होंने कहा कि, "अगर स्वतंत्र न्यायपालिका का आखिरी गढ़ गिर जाता है, तो देश अंधकार के रसातल में चला जाएगा."

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उन्होंने यह भी कहा कि कॉलेजियम द्वारा सिफारिश किए गए 'नामों को रोकना लोकतंत्र के लिए घातक' है.

अगस्त 2021 में रिटायर होने से पहले नरीमन सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का हिस्सा थे. मुंबई में आयोजित 7वें एमसी छागला स्मृति व्याख्यान में "दो संविधानों की कहानी - भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका” विषय पर बोलते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की है.

SC Collegium vs Government: किरेन रिजिजू ने SC द्वारा सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

कानून मंत्री को नरीमन की नसीहत

शुक्रवार को मुंबई विश्वविद्यालय के लॉ डिपार्मेंट की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए, नरीमन ने कहा कि हमने कानून मंत्री द्वारा इस प्रक्रिया (न्यायाधीशों की नियुक्ति) के खिलाफ एक आलोचना सुनी है. मैं कानून मंत्री को आश्वस्त करना चाहता हूं कि दो बहुत ही मूलभूत संवैधानिक बातें हैं, जिन्हें आपको अवश्य जानना चाहिए. एक मौलिक बात यह है कि, संयुक्त राज्य अमेरिका के विपरीत, कम से कम पांच अनिर्वाचित न्यायाधीशों पर संविधान की व्याख्या का भरोसा है और एक बार उन पांच या अधिक ने उस मूल दस्तावेज की व्याख्या कर ली है, तो अनुच्छेद 144 के तहत एक प्राधिकरण के रूप में आपका बाध्य कर्तव्य है कि आप उसका पालन करें.

SC Collegium vs Government: किरेन रिजिजू ने SC द्वारा सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी.
"एक नागरिक के रूप में मैं आलोचना कर सकता हूं, कोई समस्या नहीं है, लेकिन यह कभी नहीं भूलें... आप एक अथॉरिटी हैं और एक अथॉरिटी के तौर पर आप सही या गलत के फैसले से बंधे हैं."
SC Collegium vs Government: किरेन रिजिजू ने SC द्वारा सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

संवैधानिक पीठ के गठन का सुझाव

पूर्व न्यायाधीश नरीमन ने सुझाव दिया कि नियुक्ति की प्रक्रिया की कमियों को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को पांच जजों की एक बेंच का गठन करना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कॉलेजियम द्वारा किसी नाम की सिफारिश के बाद सरकार को प्रस्तावों का जवाब देने के लिए एक सख्त समय सीमा निर्धारित करनी चाहिए. अगर उस समय सीमा में कोई जवाब नहीं आता है तो यह मान लेना चाहिए कि सरकार के पास कहने के लिए कुछ नहीं है, और नियुक्तियां की जानी चाहिए,

SC Collegium vs Government: किरेन रिजिजू ने SC द्वारा सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

"नामों को रोकना इस देश के लोकतंत्र के लिए बहुत घातक है."

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, "आप (सरकार) जो कर रहे हैं वह यह है कि आप किसी विशेष कॉलेजियम की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि वो अपना मन बदल लेगा. और ऐसा हर समय होता है क्योंकि आप सरकार हैं, जो कि कम से कम पांच साल तक चलता ही है. लेकिन जो कॉलेजियम आते हैं, वो तेजी से बदलते हैं. तो यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है जो हमारे न्यायालय के फैसले में होनी चाहिए."

'यह गढ़ गिरा तो अंधकार के युग में चले जाएंगे'

"आखिरकार, संविधान इसी तरह काम करता है, और यदि आपके पास स्वतंत्र और निडर न्यायाधीश नहीं हैं, तो अलविदा कहें. वहां कुछ नहीं बचा है."

पूर्व न्यायाधीश नरीमन ने कहा कि, "मेरे अनुसार अगर यह गढ़ गिर जाता है, तो हम अधंकार के युग में चले जाएंगे. जहां आर के लक्ष्मण का आम आदमी खुद से केवल एक प्रश्न पूछेगा: अगर नमक का स्वाद खत्म हो जाए, तो फिर उसे किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हो सकता है कि आपने अपने लिए एक उत्कृष्ट संविधान बनाया हो, लेकिन अगर इसके अंतर्गत आने वाली संस्थाएं विफल हो जाती हैं, तो आप कुछ नहीं कर सकते हैं."

SC Collegium vs Government: किरेन रिजिजू ने SC द्वारा सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

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उप राष्ट्रपति धनखड़ की टिप्पणी पर भी दिया जवाब

दरअसल न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध के बीच यह टिप्पणी आई है. केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने बार-बार कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल उठाया है, यहां तक कि उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के बनाए कानून को सुप्रीम कोर्ट से रद्द करने पर नाराजगी जताई थी. उपराष्ट्रपति ने कहा था कि ससंद ने जो कानून बनाया है क्या उस पर कोर्ट की मुहर लगेगी, तभी वो कानून माना जाएगा?

'मूल संरचना' सिद्धांत पर धनखड़ की टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए, पूर्व न्यायाधीश नरीमन ने कहा, "1980 से लेकर अब तक जब-जब कार्यपालिका ने संविधान से परे काम करने की कोशिश की है, न्यायपालिका के हाथ में इस अत्यंत महत्वपूर्ण हथियार का कई बार इस्तेमाल किया गया है. और आखिरी बार इसका इस्तेमाल संभवत: 99वें संशोधन को रद्द करने के लिए किया गया था, जो कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम था."
SC Collegium vs Government: किरेन रिजिजू ने SC द्वारा सरकार की आपत्तियों को सार्वजनिक करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

जस्टिस नरीमन ने यह भी कहा कि "सौभाग्य से भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में एक अलग रास्ता चुना, जहां न्यायपालिका न्यायाधीशों की नियुक्ति में शामिल नहीं है." उन्होंने आगे कहा कि, "न्यायपालिका की स्वतंत्रता का संवैधानिक सिद्धांत लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है."

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