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सुप्रीम कोर्ट Vs कानून मंत्री: SC कॉलेजियम पर रिजिजू का बैक-टू-बैक चौथा वार

"SC कॉलेजियम का रिपोर्ट सार्वजनिक करना गंभीर चिंता का विषय"- कानून मंत्री का कॉलेजियम पर एक और 'वार'

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केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच जजों की नियुक्ति की सिफारिश करने वाली कॉलेजियम (Supreme Court collegium) को लेकर शुरू विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) सार्वजनिक रूप से लगातार कॉलेजियम के खिलाफ मुखर दिख रहे हैं. किरेन रिजिजू ने मंगलवार, 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाई कोर्ट जज पद के उम्मीदवारों पर सरकार की आपत्तियों की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर कड़ी आपत्ति जताई.

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यह पहला वाकया नहीं है जब कानून मंत्री सार्वजनिक रूप से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को निशाना बना रहे हैं.

कॉलेजियम के खिलाफ लगातार मुखर कानून मंत्री किरेन रिजिजू 

पहला वार- चीफ जस्टिस को लेटर लिखा

कानून मंत्री ने 6 जनवरी को भारत के चीफ जस्टिस को लेटर भेजा. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि इस लेटर के माध्यम से सरकार ने चीफ जस्टिस से कहा कि वे जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम में सरकार द्वारा नामित व्यक्ति को शामिल करे. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया. हालांकि कानून मंत्री ने सोमवार, 23 जनवरी को इसका खंडन करते हुए दावा किया कि उन्होंने लेटर जरूर लिखा था लेकिन उसमें ऐसी कोई मांग नहीं रखी गयी थी.

"मैंने 6 जनवरी को CJI को एक पत्र लिखा था, जो मेरा कर्तव्य है. क्या लिखा था, उसे सार्वजनिक रूप से घोषित करने की कोई आवश्यकता नहीं है. यह एक प्रक्रिया है. दो-तीन दिन तक तो किसी को पता ही नहीं चला. लेकिन बाद में किसी को पता चला और हेडलाइन चलने लगी कि एक लेटर लिखा गया है कि कॉलेजियम में सरकार का एक प्रतिनिधि होना चाहिए. इसका कोई सिर-नहीं है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है."
कानून मंत्री

दूसरा वार- जब जज का बयान शेयर किया

शनिवार को किरेन रिजिजू ने हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज के बयान को ट्विटर पर शेयर किया, जिसमें पूर्व जज यह कहते सुने गए कि सुप्रीम कोर्ट ने जजों को नियुक्त करने का फैसला खुद से करके संविधान को "हाईजैक" कर लिया है. दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज आरएस सोढ़ी कहते दिखे कि, "सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार संविधान को हाईजैक किया है. सुप्रीम कोर्ट कहता है कि ये जजों की नियुक्ति करेगा और इसमें सरकार को बोलने का कोई अधिकार नहीं है". 

इसके बाद किरेन रिजिजू ने एक ट्वीट में लिखा कि "ज्यादातर लोग इसी समझदार विचार के हैं."

तीसरा वार- "आपको चुनाव नहीं लड़ना होता"

किरेन रिजिजू ने एक दिन पहले ही सोमवार को कहा था कि जजों को नेताओं की तरह चुनाव नहीं लड़ना पड़ता है, न ही जनता की जांच का सामना करना पड़ता है लेकिन वे अपने कार्यों और फैसलों से जनता की नजरों में हैं. दिल्ली बार एसोशिएसन के एक कार्यक्रम में जजों की ओर मुखातिब होते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि लोग आपको देख रहे हैं और आपके बारे में राय बना रहे हैं. आपके फैसले, आपकी कार्य प्रक्रिया, आप कैसे न्याय करते हैं...सोशल मीडिया के इस युग में आप कुछ भी नहीं छिपा सकते.

चौथा वार- "SC कॉलेजियम का रिपोर्ट सार्वजनिक करना गंभीर चिंता का विषय"

कानून मंत्री ने आज सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "रॉ या आईबी की सीक्रेट और संवेदनशील रिपोर्ट को सार्वजनिक करना गंभीर चिंता का विषय है. इसपर मैं सही समय पर अपनी प्रतिक्रिया दूंगा. आज सही समय नहीं है."

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि, "यदि संबंधित अधिकारी (खुफिया एजेंसी का) जो देश के लिए पहचान बदलकर या गुप्त मोड में एक बहुत ही गोपनीय स्थान पर काम कर रहा है, और यदि कल उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक डोमेन में डाल दी जाती है तो वह दो बार सोचेगा. इसके प्रभाव होंगे. इसलिए मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा करें."

पत्रकारों ने जब यह पूछे कि क्या वह इसे चीफ जस्टिस के सामने उठाएंगे, कानून मंत्री ने कहा, "चीफ जस्टिस और मैं अक्सर मिलते हैं. हम हमेशा संपर्क में रहते हैं. वह न्यायपालिका के प्रमुख हैं, मैं सरकार और न्यायपालिका के बीच सेतु हूं. हमें एक साथ काम करना होगा - हम अलग-अलग काम नहीं कर सकते. यह एक विवादास्पद मुद्दा है ... इसे किसी और दिन के लिए छोड़ दें."

कॉलेजियम ने सरकार के आपत्ति को किया था सार्वजनिक 

पिछले हफ्ते, भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जज पद के लिए भेजे गए उम्मीदवारों के नाम पर सरकार की आपत्तियों और उसपर अपने काउंटर को प्रकाशित किया था.

यह पहली बार था जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सरकार की आपत्तियों के रूप में खुफिया एजेंसियों - रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) की रिपोर्ट को ऐसे सार्वजनिक किया था. साथ ही इस लेटर में कॉलेजियम ने पांच उम्मीदवारों को हाई कोर्ट के जजों के रूप में नियुक्त करने के अपने फैसले को दोहराया था.

दरअसल केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति में बड़ी भूमिका के लिए कॉलेजियम पर दबाव बना रही है. जबकि भारत में 1993 से जजों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम (वरिष्ठतम जजों का पैनल) का अधिकारक्षेत्र रहा है.

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