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OROP बकाए पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट की दो टूक- कानून अपने हाथ में न ले

OROP News: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को चार किश्तों में OROP बकाया के भुगतान पर अधिसूचना वापस लेने का निर्देश दिया.

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वन रैंक, वन पैंशन (OROP) के बकाए मामले पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने 25 लाख पूर्व सैनिकों की बकाया पेंशन का भुगतान करने वाले नोटिफिकेशन पर रक्षा मंत्रालय को दो टूक सुनाई है.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रक्षा मंत्रालय को वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना के तहत सशस्त्र बलों के पात्र पेंशनरों को बकाया राशि के भुगतान के मामले में "कानून अपने हाथों में नहीं लेने" की चेतावनी दी है.

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि रक्षा मंत्रालय चार किस्तों में वन रैंक वन पेंशन का बकाया भुगतान करने संबंधी परिपत्र जारी कर कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता है.

सीजेआई ने भारत के अटॉर्नी जनरल से कहा कि न्यायालय केवल समय सीमा बढ़ाने के लिए केंद्र के आवेदन पर तभी विचार करेगा जब पूर्व संचार वापस ले लिया जाएगा.

CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने मंत्रालय को पेंशन की मात्रा और तौर-तरीकों से संबंधित एक नोट उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा सचिव को आदेश दिया है कि वह 20 जनवरी को जारी नोटिफिकेशन को तत्काल प्रभाव से वापस ले. आपको बता दें कि 20 जनवरी को रक्षा मंत्रालय ने वन रैंक, वन पेंशन की बकाया राशि को चार किश्तों में जारी करने की विज्ञप्ति निकाली थी. 

क्या है पूरा मामला?

बता दें, अदालत ने पहले केंद्र को 15 मार्च 2023 तक सशस्त्र बलों के पात्र पेंशनरों को बकाया राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था. 27 फरवरी को, कोर्ट ने 20 जनवरी को एक संचार जारी करके रक्षा मंत्रालय द्वारा एकतरफा रूप से समय सीमा बढ़ाने पर नाराजगी व्यक्त की थी, जिसके अनुसार पेंशन बकाया चार समान अर्धवार्षिक किस्तों में भुगतान किया जाएगा.

सरकार का जवाब

वहीं, भारत के अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि बकाया शीघ्र ही जारी किया जाएगा और पहली किस्त का भुगतान 31 मार्च से पहले किया जाएगा. एजी ने आश्वासन दिया कि वह व्यक्तिगत रूप से मामले की निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुल 25 लाख पेंशनभोगी हैं, जिनकी पेंशन सारणी अंतिम पुनरीक्षण के लिए मंत्रालय के पास आई थी और उनमें से 7 लाख आवेदनों को मंजूरी दे दी गई थी. उन्होंने तर्क दिया कि बहुत सारी "परिचालन बाधाएं" हैं.

इसके बाद CJI ने कहा,

"हमारी एकमात्र चिंता यह है कि सेना के जवानों को राशि मिल जाए. हमें सोमवार को नोट दिखाएं. हमें दो भागों में दें. क्या भुगतान किया गया है, भविष्य के भुगतान के लिए क्या तरीका है, कुछ वर्गीकरण, प्राथमिकता क्या है. बुजुर्गों और विधवाओं को पहले लिया जा सकता है." मामले की सुनवाई अब 20 मार्च 2023 को होगी."

उधर, इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट समेत याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने पीठ को अवगत कराया कि लगभग 4 लाख पेंशनभोगी पेंशन का इंतजार करते हुए पहले ही मर चुके हैं.

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