सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने 24 फरवरी को कहा कि सरकार को किसी भी शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे प्रदर्शन को दबाने या हटाने का कोई अधिकार नहीं है. जस्टिस दीपक गुप्ता सुप्रीम कोर्ट के बार एसोसिएशन के आयोजित किए गए कार्यक्रम में ‘लोकतंत्र और विरोध’ के विषय पर भाषण दे रहे थे.
किसी भी संस्था की आलोचना को संरक्षण दिया जाना चाहिए. कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका यहां तक कि हमारी सेनाओं की भी आलोचनाओं को संरक्षण मिलना चाहिए. ऐसी कोई पवित्र चीज नहीं है, जिसका विरोध न किया जा सके.जस्टिस दीपक गुप्ता, सुप्रीम कोर्ट जज
आगे उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि इन विचारों को शांतिपूर्ण तरीके से व्यक्त किया जाना चाहिए. लेकिन लोगों के पास एकजुट होने का अधिकार है और उन्हें जब ऐसा महसूस हो कि सरकार के काम में कमी है या दिक्कत है तो उन्हें विरोध करने का अधिकार है. उनका उद्देश्य हमेशा सही हो ऐसा नहीं हो सकता है लेकिन कभी-कभी सरकार भी गलत हो सकती है.
‘अगर प्रचलित मान्यताओं को चुनौती न दी जाए, तो समाज स्थिर हो जाएगा.’
6 मई को रिटायर हो रहे हैं जस्टिस गुप्ता
सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के बाद जस्टिस गुप्ता ने पर्यावरण से जुड़े कई मामलों की सुनवाई की है. जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण का मामला भी शामिल है. जस्टिस गुप्ता पोक्सो मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में भी शामिल थे. ये जज आने वाली 6 मई को रिटायर हो रहे हैं. जस्टिस गुप्ता ने कहा कि- मुझे कई विषयों पर बोलने के लिए दिया गया था, लेकिन देश में जो हालात हैं उसे देखते हुए मैंने लोकतंत्र और विरोध पर बोलने का फैसला किया. विरोध को न सिर्फ सहन किया जाना चाहिए बल्कि विरोध की आवाज को बढ़ावा भी दिया जाना चाहिए.
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