जस्टिस रंजन गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के 46वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ले ली है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रंजन गोगोई को सीजेआई पद की शपथ दिलाई. जस्टिस रंजन गोगोई ने पूर्व जस्टिस दीपक मिश्रा की जगह ली है.
लेकिन जस्टिस गोगोई ने जिस सुप्रीम कोर्ट की शपथ ली है, आप उसके बारे में कितना जानते हैं. आइए उस इंसाफ के मंदिर कहे जाने वाले सुप्रीम कोर्ट के इतिहास के बारे में बताते हैं 10 बड़ी बातें-
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- देश का सुप्रीम कोर्ट 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया था. 2 दिन बाद यानी 28 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने काम करना शुरू कर दिया था.
- इससे पहले देश की सबसे बड़ी न्यायिक संस्था 'फेडरल कोर्ट ऑफ इंडिया' थी. इसका कामकाज संसद भवन के 'चेंबर ऑफ प्रिसेस' में किया जाता था. जब सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आया तो उसका उद्घाटन भी यहीं हुआ और अगले कई सालों तक यहीं से कामकाज चलता था.
- सुप्रीम कोर्ट के पहले चीफ जस्टिस हीरालाल जे. कानिया थे. वहीं पहली महिला चीफ जस्टिस फातिमा बीवी थी, जिन्होंने साल 1959 में कार्यभार संभाला था.
- साल 1958 में सुप्रीम कोर्ट को संसद भवन परिसर से नई दिल्ली के तिलक मार्ग पर स्थित मुख्यालय में शिफ्ट किया गया. सुप्रीम कोर्ट भवन में कुल 15 कोर्ट रूम है, बिल्डिंग की खासियत ये है कि इसे तराजू के पलड़े की तरह बनाया गया है, जो अपने दोनों तरफ से एक समान है.
- सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के वक्त इसमें चीफ जस्टिस को मिलाकर कुल जजों की संख्या 8 तय की गई थी. जजों की संख्या बढ़ाने का अधिकार संविधान ने संसद को दिया है. काम को बढ़ता देखकर जजों की संख्या को बढ़ाया गया. 1956 में 11, 1960 में 14, 1978 में 18, 1986 में 26 जजों का प्रावधान किया गया. साल 2009 में ये संख्या बढ़ाकर 31 कर दी गई.
- आपने अक्सर सुना होगा कि 3 जजों की बेंच, 5 जजों की बेंच. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या को बढ़ता देख, केस के हिसाब से 2-3 जजों की पीठ (बेंच) बनाई गई. कभी-कभी केस की मांग के मुताबिक, 5 या उससे ज्यादा जजों की बड़ी बेंच भी बनाई जाती है.
- सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की प्रणाली को ‘कॉलेजियम सिस्टम’ कहा जाता है. 1993 से लागू इस सिस्टम के जरिए ही जजों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और प्रमोशन का फैसला होता है. कॉलेजियम 5 जजों का एक ग्रुप है. इसमें भारत के चीफ जस्टिस समेत सुप्रीम कोर्ट के 4 सीनियर जज मेंबर होते हैं.
- इस सिस्टम को नया रूप देने के लिए NDA सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) बनाया था. यह सरकार द्वारा प्रस्तावित एक संवैधानिक संस्था थी, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया.
- NJAC में 6 मेंबर रखने का प्रस्ताव था, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के साथ SC के 2 वरिष्ठ जज, कानून मंत्री और कई क्षेत्रों से जुड़ीं 2 जानी-मानी हस्तियों को बतौर सदस्य शामिल करने की बात थी. लेकिन इसे रद्द किया गया, कोर्ट ने कहा था कि जजों के सेलेक्शन और अपॉइंटमेंट का नया कानून गैर-संवैधानिक है. इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा.
- सुप्रीम कोर्ट के जजों के रिटायर्ड होने की उम्र 65 साल है, सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाए जाने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है. ऐसे स्थिति में संसद के दोनों सदनों में उस जज को हटाए जाने का प्रस्ताव लाया जाना, साथ ही दो तिहाई बहुमत प्रस्ताव पारित होना जरूरी है.
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