किसान आंदोलन (Farmers Protests) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन वो अनिश्चितकाल के लिए सड़कों को ब्लॉक नहीं कर सकते. कोर्ट ने किसान संगठनों से सड़कों पर विरोध कर रहे किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. इस मामले पर कोर्ट अगली सुनवाई 7 दिसंबर को करेगा.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस एसके कौल और सीटी रवि कुमार की बेंच ने संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) से पूछा कि क्या उन्हें सड़क जाम करने का अधिकार है. SKM ने जवाब दिया कि सड़क प्रबंधन पुलिस द्वारा बेहतर किया जा सकता है, और अगर पुलिस प्रबंधन नहीं कर सकती है तो किसानों को दिल्ली में राम लीला मैदान या जंतर मंतर पर विरोध करने की अनुमति दी जाए.
सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गणतंत्र दिवस की हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि किसान संगठनों के कोई हिंसा नहीं होने के वादे के बावजूद, 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा हुई.
कोर्ट ने लगाई थी फटकार
नोएडा के एक निवासी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दो जजों की बेंच ने कहा था, "निवारण न्यायिक रूप, आंदोलन या संसदीय बहस के माध्यम से हो सकता है. लेकिन हाईवे को कैसे ब्लॉक किया जा सकता है? ये कहां खत्म होता है?"
लगभग एक साल से विरोध कर रहे किसान
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगभग पिछले एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले एक साल विरोध कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि इन कानूनों को वापस लिया जाए. सरकार और किसान नेताओं के बीच कई दौर की बैठकें भी हो चुकी हैं, लेकिन सभी बेनतीजा रही हैं.
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