सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार सरकार से तबलीगी जमात के सदस्यों पर चल रहे सभी मामलों की पूरी जानकारी मांगी है ताकि सारे मामले दिल्ली में एक साथ चल सके. जस्टिस ए.एम. खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की एक पीठ ने बिहार सरकार के वकील से इस पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा. साथ ही मामले की सुनवाई को 30 अगस्त तक के लिए आगे बढ़ा दिया. वरिष्ठ वकील मेनका गुरुसामी ने याचिकाकर्ताओंका प्रतिनिधित्व करते हुए पीठ से आग्रह किया कि कुछ विदेशियों के खिलाफ पटना में मुकदमा चल रहा है, लिहाजा मानवीय आधार पर इन मामलों को भी दिल्ली भेज दिया जाए.
केंद्र की तरफ से क्या कहा गया?
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली में मामलों की सुनवाई 4-5 अलग-अलग मजिस्ट्रेट कर रहे हैं. 6 अगस्त को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि उसने दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात मण्डली में विदेशी नागरिकों की कथित भागीदारी के लिए उनके खिलाफ जारी किए गए लुक आउट नोटिस को वापस ले लिया है.
मुकदमों की स्थिति पर मेहता ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि 34 में से 10 याचिकाकर्ताओं ने समझौता करने की बजाय आपराधिक मुकदमे लड़ने का विकल्प चुना है. उन्होंने सुझाव दिया था कि दिल्ली की कई अदालतों में चल रहे ट्रायल्स को फास्ट ट्रैक प्रक्रिया के लिए पहले एक कोर्ट में लाया जाना चाहिए.
बता दें कि प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) ने 2 अप्रैल को भारत में मौजूद 35 देशों के 960 विदेशियों को ब्लैकलिस्ट करने के केंद्र के निर्णय के बारे में बताया था. याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी थी कि यह फैसला मनमाना था और अदालत से इसे असंवैधानिक करार देने के लिए आग्रह किया था.
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