मंगलवार, 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट (Spreme Court) ने कहा कि वह राजनीतिक दलों के कैंडिडेट्स के आपराधिक मामलों से संबंधित याचिका की सुनवाई करेगा. याचिका में चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि राजनीतिक दल उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों के बारे में डिटेल्स और उनके चयन की वजहों को अपनी वेबसाइटों पर पब्लिश करें.
चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और हेमा कोहली की बेंच से वकील अश्विनी उपाध्याय ने आग्रह किया था और अपनी पर्सनल कैपेसिटी में जनहित याचिका दायर की थी, कि याचिका को चल रही चुनाव प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए तत्काल सूचीबद्ध किया जाए.
वकील ने कहा कि पहले चरण के चुनाव के लिए नॉमिनेशन शुरू हो गया है और राजनीतिक दल और उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं.
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हम इस पर विचार करेंगे और एक तारीख तय की जाएगी.
इस याचिका में चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है कि सभी राजनेता इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया में डीटेल प्रकाशित करें.
याचिका में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कैराना विधानसभा से कथित गैंगस्टर नाहिद हसन को मैदान में उतारा था, लेकिन न तो उनके आपराधिक रिकॉर्ड को इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया में पब्लिश किया गया और न ही इसका कारण बताया गया.
नाहिद हसन लगभग 11 महीने पहले गैंगस्टर एक्ट के तहत हिरासत में हैं और वो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण में नॉमिनेशन फाइल करने वाले पहले कैंडीडेट हैं.
कैराना से दो बार विधायक रहे नाहिद हसन पर 13 फरवरी 2021 को शामली पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट लगाया था.
याचिका में आरोप लगाया गया कि नाहिद के ऊपर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और कैराना से हिंदू पलायन के पीछे मास्टरमाइंड का भी आरोप है. विशेष विधायक-एमपी कोर्ट द्वारा नाहिद हसन को भगोड़ा घोषित किया गया था.
'पार्टियां बताएं कि आपराधिक उम्मीदवारों को क्यों प्राथमिकता दी गई'
याचिका में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है कि हर राजनीतिक दल यह बताए कि उसने आपराधिक मामलों वाले व्यक्ति को क्यों प्राथमिकता दी और बिना आपराधिक इतिहास वाले उम्मीदवार को क्यों नहीं सेलेक्ट किया.
एडवोकेट अश्विनी कुमार दुबे द्वारा दायर की गई याचिका में चुनाव आयोग को उस राजनीतिक दल का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करता है. इसमें कहा गया है कि इलेक्टोरल प्रोसेस के दौरान, न केवल वे चुनाव परिणाम में हस्तक्षेप करने के लिए भारी मात्रा में अवैध धन का प्रयोग करते हैं, बल्कि मतदाताओं या अपने समकक्ष के उम्मीदवारों को भी डराते भी हैं.
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