सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बीसीसीआई चीफ अनुराग ठाकुर पर कोर्ट की अवमानना करने के लिए उन्हें जेल भेजने की बात कही है. इसके साथ ही कोर्ट ने बीसीसीआई को एक हफ्ते के अंदर एडमिनिस्ट्रेटर का नाम सुझाने का आदेश दिया है.
आखिर क्यों आया चीफ जस्टिस को गुस्सा?
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने साफ और कड़े शब्दों में ठाकुर के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि बीसीसीआई चीफ ने कोर्ट की अवमानना की है और उन्हें इसके लिए जेल भी जाना पड़ सकता है.
आईसीसी चीफ शशांक मनोहर ने बीसीसीआई चीफ रहते हुए सीएजी द्वारा चयनित प्रशासक के मुद्दे पर कहा था कि ऐसा करने से भारत आईसीसी की सदस्यता खो सकता है. कोर्ट में दिए हलफनामे में अनुराग ठाकुर ने कहा था कि उन्होंने आईसीसी चीफ मनोहर से इस सबंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिए नहीं कहा है. जबकि, ठाकुर ने मनोहर को पत्र लिखकर इस संबंध में स्पष्टीकरण की मांग की थी लेकिन मनोहर ने मामले के कोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था.
कोर्ट के पूछने पर एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) गोपाल सुब्रमण्यम ने बताया कि अनुराग ठाकुर झूठ बोल रहे हैं और उन्होंने आईसीसी चीफ शशांक मनोहर को इस संबंध में पत्र लिखा है.
ठाकुर पर आगबबूला हुए चीफ जस्टिस
अगर हमनें एक बार फैसला सुना दिया तो आपके पास जेल जाने के सिवा कोई जगह नहीं होगी. आपका इरादा क्या है? सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाने के बाद आपने आईसीसी के पास जाकर ये लिखने को कहा कि हमारे सुधारों को न्यायालयी हस्तक्षेप कहा जाए. आप कोर्ट को भ्रमित करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? अगर आप कोर्ट को झूठे हलफनामे देने की सजा से बचना चाहते हैं तो आपको माफी मांगनी चाहिए. आप हर स्तर पर सुधार (बीसीसीआई में) की प्रक्रिया को बाधित कर रहे हैं.टी. एस. ठाकुर, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
कोर्ट की इस फटकार के जवाब में अनुराग ठाकुर के वकील कपिल सिब्बल ने कहा है कि वे डॉक्यूमेंट दाखिल करके ये साबित कर सकते हैं कि ठाकुर झूठ नहीं बोल रहे हैं.
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