सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार, 26 अप्रैल को कहा कि उत्तराखंड (Uttrakhand) के रुड़की में होने वाला धार्मिक सम्मेलन मुसलमानों को निशाना बनाने वाले हेट स्पीच के कार्यक्रम में परिवर्तित नहीं होना चाहिए, क्योंकि कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में इसी तरह के एक आयोजन पर पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश को भी पॉइंटेड सावल भेजे थे.
कोर्ट ने राज्य के शीर्ष अधिकारियों को धर्म संसद पर नजर रखने को कहा, "अगर हेट स्पीच को नहीं रोका गया, तो [उत्तराखंड] के मुख्य सचिव को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. हम मुख्य सचिव को अदालत में तलब करेंगे."
राज्य में बुधवार को होने वाली धर्म संसद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि, "हेट स्पीच के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करें. हेट स्पीच को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं."
एक अलग सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में हिमाचल प्रदेश सरकार से तीखे सवाल किए हैं, क्योंकि यहां भी मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषणों की मेजबानी की गई और हिंदुओं को हिंसा करने के लिए प्रेरित किया गया. अदालत ने प्रशासन से पूछा कि उसने ऐसा करने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई क्यों नहीं की.
कोर्ट ने कहा, सरकार को 7 मई तक एक हलफनामा दाखिल करना चाहिए और हमें बताना चाहिए कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए थे."
ये घटनाएं अचानक नहीं होती, फिर इसे क्यों नहीं रोका गया- कोर्ट
अदालत ने कहा, "ये घटनाएं अचानक नहीं होती हैं. वे रातोंरात नहीं होती हैं. इसकी घोषणा पहले से की जाती हैं. आपने तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की? सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश पहले से ही हैं."
उत्तराखंड के मामले में न्यायाधीशों ने राज्य सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन पर ध्यान दिया कि अधिकारियों को विश्वास है कि आयोजन के दौरान कोई "अप्रिय बयान" नहीं दिया जाएगा और अदालत के फैसले के अनुसार सभी कदम उठाए जाएंगे.
जब उत्तराखंड सरकार के वकील ने कहा कि, "वो समुदाय भी कुछ करने की सोच रहा है" इस पर जस्टिस एएम खानविलकर ने उनसे कहा, "ये क्या तर्क है? यह अदालत में बहस करने का तरीका नहीं है."
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