अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की थी या फिर उनकी हत्या की गई? ये सवाल कुछ महीनों पहले देश का सबसे अहम सवाल बन गया था. आज सुशांत सिंह राजपूत के जन्मदिन के मौके पर फिर एक बार इस सवाल पर चर्चा हो रही है. पिछले 6 महीनों से ज्यादा का समय बीत गया है. देश की तीन बड़ी जांच एजेंसियां इस मामले की खोज में जुटी हुई हैं. बावजूद इसके इस मामले की गुत्थी सुलझती नजर नहीं आ रही. ये अलग बात है कि मीडिया ट्रायल में कई लोगों को फांसी तक चढ़ा दिया गया, उनकी जिंदगियां तबाह कर दी गईं. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिरकार सुशांत के मौत मामले में जांच कहां तक पहुंची है?
SSR मामले की जांच में कितनी एजेंसियां जुटीं?
फिलहाल सीबीआई सुशांत की मौत की जांच कर रही है और एनसीबी (नारकोटिक्स ब्यूरो) ड्रग्स एंगल खंगालते हुए बॉलीवुड दिग्गजों की जांच परेड करवा रही है. वहीं ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है. हालांकि तीनों एजेंसियां जितनी तेजी से इस मामले की जांच के लिए सक्रिय हुईं उतनी तेजी से किसी नतीजे तक पहुंचती नहीं दिखीं. लेकिन पिछले 6 महीनों में देश की जनता ने इस मामले में इतने उतार-चढ़ाव देखे कि शायद ही किसी मर्डर मिस्ट्री फिल्म में देखने को मिले होंगे.
आपको याद होगा तो इस सब के बीच बिहार चुनाव का हाई वोल्टेज ड्रामा भी चला था. चर्चा तो ये भी थी कि बिहार का बेटा सुशांत और उसकी मौत सिर्फ एक चुनावी मुद्दा था. शायद इसीलिए चुनाव खत्म होते ही #JusticeforSSR की चीख पुकार भी खत्म हुई.
मीडिया ट्रायल पर कोर्ट ने लगाई फटकार..
हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत मामले में दो चैनलों को मीडिया ट्रायल के लिए जमकर फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि सुशांत के मौत के मामले में मीडिया ने 'केबल टीवी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट' का उल्लंघन किया है. मामले का कवरेज बहुत ही अपमानजनक और बदनाम करने के लिए किया गया, जो कि बहुत ही गंभीर है.
गौरतलब है कि इस मामले में हुए मीडिया ट्रायल और चैनलों पर चल रही थ्योरीज के खिलाफ रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों सहित मुंबई के कुछ नामी लोगों ने याचिका दायर की थी. इस याचिका के जरिए जांच को प्रभावित ना करने, गवाहों और मुंबई पुलिस पर टिप्पणी ना करने और मीडिया के लिए गाइडलाइन्स जारी करने की मांग की गई है.
आपको बता दें कि इस मामले में चले मीडिया ट्रायल की वजह से सुशांत से जुड़े कई लोगों को जांच के लिए बुलाया गया. जिसमें कुछ लोगों को जेल जाना पड़ा तो कुछ लोगों के सिर्फ बयान दर्ज करा लिए गए.
किन लोगों पर लगे आरोप
इसमे सबसे अहम नाम है सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती. सुशांत की मौत के बाद उनके पिता केके सिंह ने पटना में रिया के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई थी. जिसके बाद सीबीआई, ईडी और एनसीबी ने रिया से लंबी पूछताछ की थी.
इसके बाद सामने आए ड्रग्स के एंगल में रिया और उनके भाई शौविक चक्रवर्ती को एनसीबी ने गिरफ्तार किया था. करीब एक महीने के बाद रिया की जमानत हुई थी. तो वही शौविक चक्रवर्ती को मुंबई के स्पेशल NDPS कोर्ट से तीन महीनों बाद जमानत मिली.
सुशांत का फ्लैटमेट सैम्युअल मिरांडा और स्टाफ दिपेश सावंत को भी एनसीबी ने ड्रग्स मुहैय्या कराई और उसकी खपत करने के आरोप में हिरासत में लिया था. हालांकि बाद में दिपेश सावंत को सरकारी गवाह बनाने का फैसला जांच एजंसी ने किया.
सुशांत के करीबी दोस्त और प्रोड्यूसर संदीप सिंह को भी इस मामले में घसीटा गया था. सुशांत की मौत के बाद संदीप सिंह का नाम कुछ चैनलों ने उछाला जिसके बाद जांच एजेंसियों ने उनसे कई बार पूछताछ भी की. लेकिन कोई सबूत न मिलने पर उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. हालांकि संदीप सिंह ने रिपब्लिक टीवी और उसके संपादक अर्णब गोस्वामी पर 200 करोड़ का मानहानि का दावा ठोक दिया. साथ ही चैनल को उनकी छवि धूमिल करने का कारण बताकर माफी मांगने को कहा.
दरअसल, इस हाई प्रोफाइल मामले में लगभग 30 लोगों से पूछताछ की गई. इसमें सुशांत के आपसी रिश्तों की पड़ताल, बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार और निर्माता, काम दिलाने वाले बिचौलिओं से लेकर टैलेंट मैनेजर्स और पीआर एजेंसियों से जुड़े लोगों की घंटों तक एजेंसियों ने पूछताछ की. लेकिन छह महीनों के बाद भी एजेंसियां सुशांत की मौत का पता नहीं लगा पा रही हैं.
महाराष्ट्र सरकार Vs केंद्र सरकार
सुशांत की मौत के बाद मुंबई पुलिस ने ADR रजिस्टर करते हुए प्राइमा फेसी इसे आत्महत्या करार दिया था. लेकिन महीनों बाद जांच का सिलिसला शुरू होने के बाद पटना में सुशांत के पिता ने एफआईआर दर्ज की. पटना पुलिस मामले की तफ्तीश के लिए तुरंत सक्रिय हो गई और मुंबई में पटना की टीम रवाना कर दी गई थी. जिसके बाद मुंबई के बीएमसी ने जांच करने वाले आला आईपीएस अधिकारी को क्वारंटाइन कर दिया था.
फिर सीएम नीतीश कुमार के बयान के बाद केंद्र सरकार और महाराष्ट्र सरकार के बीच टकराव देखने को मिला. आखिरकार मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और सुशांत की मौत की जांच सीबीआई को सौंपी गई. जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों के साथ आला अधिकारियों ने कई बार सार्वजनिक तौर पर कहा कि सुशांत के मामले को राजनैतिक रंग देकर महाराष्ट्र को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.
हालांकि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख और बीजेपी के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी आज भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिरकार सीबीआई सुशांत के मामले में तफ्तीश कब पूरी करेगी. लेकिन जवाब में सीबीआई ने बताया है कि जांच नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करते हुए पेशेवर तरीके से हो रही है और अभी किसी भी पहलू को खारिज नहीं किया जा सकता.
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