महाराष्ट्र में नासिक से मुंबई तक हुए किसानों के आंदोलन ने सिस्टम को हिला कर रख दिया. हालांकि महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मांगें मान लेने के बाद नासिक से 180 किलोमीटर पैदल मार्च कर मुंबई पहुंचे किसानों ने अपना आंदोलन खत्म कर दिया है. लेकिन इस बीच एक बार फिर से स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की बात तेजी से उठ रही है.
अनाजों की समस्या के समाधान, जमीन के विवाद को सुलझाने और किसानों की आर्थिक हालात को बेहतर बनाने के मकसद से केंद्र सरकार ने प्रोफेसर स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नवंबर 2004 को किसान आयोग बनाया था. दो सालों में इस कमेटी ने 6 रिपोर्ट तैयार की और सरकार को सौंपी, लेकिन इस रिपोर्ट में जो सिफारिशें हैं उन्हें अभी तक लागू नहीं किया जा सका है.
जानते हैं इस आयोग की सिफारिशों की 10 खास बातें
- जमीन बंटवारे को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है कि 1991-92 में 50 फीसदी ग्रामीण लोगों के पास देश की सिर्फ तीन फीसदी जमीन थी. लोगों के लिए जमीन का बंटवारा सही तरीके से हो इसलिए एक बड़ा सर्वे कराना चाहिए.
- किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए ज्यादा आत्महत्या वाले जगहों पर विशेष सुधार कार्यक्रम चलाया जाए. किसानों के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाए ताकि उनपर सेहत की वजह से आर्थिक बोझ ना पड़े.
- भूमि सुधारों हों, सरप्लस और बेकार जमीन को भूमिहीनों में बांटा जाए. आदिवासियों और जंगलों को लेकर विशेष नियम बनाया जाए. साथ ही नेशनल लैंड यूज एडवाइजरी सर्विस बने.
- सस्ती दरों पर फसल लोन मिले साथ ही बैंकिंग और फाइनेंसियल फैसिलिटी का फायदा आम किसानों तक पहुंचे. जब तक किसान कर्ज चुकाने की स्थिति में न आ जाए, तब तक उससे कर्ज की वसूली नहीं की जाए.
- जमीन की पैदावार बढ़ाने, मिट्टी जांच और संरक्षण पर भी ध्यान देने की बात है. इसके लिए मिट्टी की जांच के लिए लैबों का बड़ा नेटवर्क तैयार करने पर जोर दिया गया.
- ज्यादा से ज्यादा लोगों को खाना उपलब्ध कराने, कुपोषण दूर करने की कोशिशों पर जोर दिया गया.
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सुधारों पर ध्यान देने के साथ ही कम्युनिटी फूड और वाटर बैंक बनाने, राष्ट्रीय भोजन गारंटी कानून की भी सिफारिश की गई है.
- फसल की बेहतर सिंचाई के लिए सभी को सही मात्रा में पानी मिले, इसके लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग और वाटर शेड प्रोजेक्ट बढ़ाए जाएं.
- अलग-अलग फसलों को लेकर उनकी गुणवत्ता और वितरण पर विशेष नीति बनाने की बात है. किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागत से 50 फीसदी ज्यादा बढ़ाने की सिफारिश की गई.
- कृषि से जुड़े रोजगार में लोगों की कमी को देखते हुए खेती से जुड़े रोजगारों को बढ़ाने के लिए बातें कही गई है.
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