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जज को किया ट्रोल तो आ गई शामत, कई सस्पेंड, कइयों ने मांगी माफी

जज को ट्रोल करने पर तमिलनाडु के टीचरों पर आफत, कई सस्पेंड, एफआईआर भी दर्ज 

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भारत
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सोशल मीडिया पर जज के खिलाफ टिप्पणी करना तमिलनाडु के टीचरों पर भारी पड़ा है. मद्रास हाईकोर्ट के जज एन किरुबाकरन को ट्रोल करने, अपशब्द कहने और उनके बयान की आलोचना करने के आरोप में 50 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और 11 टीचरों को सस्पेंड कर दिया गया है.

इस मामले में मंगलवार को वेल्लोर की एक महिला की गिरफ्तारी भी हुई है.

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टीचरों को अपशब्द और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने पर इन्‍हें सस्पेंड किया गया है. जज और ज्यूडिशियरी के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने पर उनके खिलाफ कदम उठाए गए हैं. सभी टीचरों ने माफी मांग ली, लेकिन अदालत ने उनके खिलाफ फैसला सुरिक्षत रखा है.
प्रदीप यादव, प्रिंसिपल सेक्रेट्री - स्कूली शिक्षा विभाग, तमिलनााडु 

सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकारी टीचरों ने इस मामले में अदालत में माफी मांग ली. फिर भी कुछ लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, नीट परीक्षाओं में तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों के खराब प्रदर्शन के बाद जस्टिस किरुबाकरन ने कहा था कि वेतन की मांग करने वाले टीचरों को शर्म आनी चाहिए. सातवें वेतन आयोग की मांग करने वाले टीचरों को अपनी जिम्मेदारी भी समझनी चाहिए. ऐसे लोगों को हड़ताल नहीं करनी चाहिए.

लेकिन किरुबाकरन की यह टिप्पणी हड़ताली टीचरों के रास नहीं आई और उनमें से कइयों ने फेसबुक, ट्वीटर जैसे सोशल मीडिया साइटों पर उनके खिलाफ भद्दी टिप्पणियां कीं. इसके बाद जज ने रिपोर्ट मंगाई और इसके आधार पर कई के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गईं.

यह मामला उन लोगों के लिए सबक है, जो सोशल मीडिया पर कमेंट तो करते हैं, लेकिन उन्हें पता नहीं होता कि ट्रोलिंग, गाली-गलौज या अपमानजनक टिप्पणी उन्हें साइबर लॉ के फंदे में फंसा सकता है. खास कर जजों और ज्यूडिशियरी के खिलाफ कमेंट करना और मुसीबत खड़ी कर सकता है.

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