क्या इन दिनों बिहार की राजधानी का नाम पटना से बदलकर पाटलिपुत्र करने की कोशिशें चल रही हैं? अगर असम व जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल ले. ज. (सेवानिवृत्त) एसके सिंह की बातों पर भरोसा किया जाए तो, जवाब है ‘हां’.
यूपीए और एनडीए, दोनों के ही कार्यकल में राज्यपाल के पद पर रहने वाले जनरल सिंह पिछले कई वर्षों से पटना का नाम बदलकर पाटिलपुत्र किए जाने की वकालत कर रहे हैं. वे मानते हैं कि अगर मद्रास को बदलकर चेन्नई, बॉम्बे को मुंबई और कलकत्ता को कोलकाता किया जा सकता है, तो पटना का नाम क्यों नहीं बदला जा सकता.
आखिर पाटलिपुत्र मगध साम्राज्य की राजधानी रही है और उसके बाद भी करीब हजार साल तक इसे राजधानी रहने का गौरव प्राप्त है.
मैंने हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी को 487 ईसा पूर्व अस्तित्व में आए इस शहर का नाम बदलने का प्रस्ताव भेजा है. उस समय इस शहर का नाम पाटलिपुत्र था. इस शहर ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है.एसके सिंह, ले. ज. (रिटायर्ड)
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज की पटना में आयोजित एक बैठक में पटना और पाटिलपुत्र के गौरव को बचाए रखने पर भाषण देते हुए उन्होंने यह जानकारी दी.
प्राचीन इतिहास
इतिहासकारों के अनुसार मौर्य साम्राज्य भौगोलिक रूप से विशाल और भारत का काफी शक्तिशाली साम्राज्य था.
मगध राज्य से जन्मा यह साम्राज्य आधुनिक मध्य बिहार, उत्तर प्रदेश और बंगाल के गंगा के मैदान में फैला हुआ था. इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी, जो कि अब पटना के नाम से जानी जाती है.
मौर्य साम्राज्य की स्थापना 321 ईसा पूर्व में हुई थी, जब चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद साम्राज्य के शासक धनानंद की सत्ता छीन ली थी. सिकंदर और फारसी आक्रमणकारियों की सेनाओं के पश्चिम की ओर बढ़ने का फायदा उठाते हुए चंद्रगुप्त ने भी पश्चिम और मध्य भारत तक अपने राज्य का विस्तार कर लिया था.
और 320 ईसा पूर्व तक उत्तर में हिमालय और पश्चिम में आधुनिक पाकिस्तान, बलूचिस्तान और अफगानिस्तान को खुद में शामिल करते हुए यह साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा साम्राज्य बन गया था. बाद जंगली और आदिवासी क्षेत्र कलिंग (आधुनिक ओडिशा) को छोड़कर मध्य व दक्षिण भारत पर भी चंद्रगुप्त और बिंदुसार ने अधिकार कर लिया था. बाद में कलिंग को अशोक ने जीत लिया. अशोक का शासन खत्म होने के करीब 60 वर्ष बाद लगभग 185 ईसा पूर्व के आस-पास मौर्य साम्राज्य का पतन शुरू हो गया.
नाम में क्या रखा है?
पटना का नाम बदलकर पाटलिपुत्र किए जाने की वकालत करने वाले सबसे पहले व्यक्तियों में से एक सिन्हा ने करीब दो दशक पहले प्रधानमंत्री राजीव गांधी को इस बारे में याचिका दी थी.
“राजीव गांधी मेरी याचिका पर काम करने के लिए मान गए थे, पर राजनीतिक कारणों से वे ऐसा नहीं कर पाए,” सिन्हा ने कहा. दिसंबर 1984 में सिन्हा ने भी पटना से कांग्रेस के सीपी ठाकुर (इस समय बीजेपी में) के खिलाफ लोकसभा का चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार मिली थी.
बिहार के वर्तमान राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने भी दुनिया को बिहार के योगदान के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए भगवान बुद्ध, शेरशाह सूरी, वीर कुंवर सिंह, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण आदि की बात की. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि नाम बदलने का अभियान शुरू करने से पहले इस मुद्दे पर एक आम सहमति बनाने की कोशिश होनी चाहिए.
कुछ साल पहले जब पटना का नाम बदलने की चर्चाएं शुरू हुई थीं, तब आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद ने इस बारे में कहा था कि पटना का नाम अगर बदला जाए, तो उसका नाम अजीमाबाद होना चाहिए.
मध्यकाल के दौरान पटना का नाम अजीमाबाद था. पर इस नाम के मुगलकाल से जुड़े होने का हवाला देते हुए इतिहासकारों ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि या तो पटना का नाम पटना ही रहना चाहिए या फिर बदल कर पाटलिपुत्र कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि पाटलिपुत्र नाम बिहार के गौरवशाली इतिहास से जुड़ा है.
(लेखिका बिहार में पत्रकार हैं)
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