ADVERTISEMENTREMOVE AD

गुलबर्ग सोसायटी केस: 11 को उम्रकैद, जाकिया ने कहा- हम निराश हैं

यह घटना गोधरा कांड के एक दिन बाद हुई थी. गोधरा में रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की 1 बोगी को जला दिया गया था

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
स्नैपशॉट

28 फरवरी, 2002 को हुआ था गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड

गुलबर्ग सोसायटी के 69 लोगों की हत्या की गई थी

मामलें मे कुल 66 लोग आरोपी बनाए गए

2 जून, 2016 को कुल 24 लोगों को दोषी करार दिया गया

17 जून को आया फैसला, 11 दोषियों को उम्रकैद हुई

12 दोषियों को 7 साल की सजा, 1 व्यक्ति को 10 साल की सजा

गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी हत्‍याकांड में सजा का ऐलान हो चुका है. 14 साल के लंबे इंतजार के बाद मामले में फैसला आया है.

कुल 24 आरोपियों में से 11 को उम्रकैद और 12 को 7 साल की सजा मिली है. वहीं एक आरोपी को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है.

इन 24 आरोपियों मे से 11 को हत्या ,1 व्यक्ति को हत्या के प्रयास और 12 को दूसरे मामलो में दोषी करार दिया गया है.

गौरतलब है 2 जून, 2016 को अदालत ने 66 आरोपियों में से 24 को दोषी करार दिया, जबकि 36 को बरी कर दिया था. 6 आरोपियों की मौत केस चलने के दरम्‍यान ही हो गई थी.

मारे गए थे 69 लोग
गुलबर्ग सोसायटी में हुए दंगे में पूर्व सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोगों हत्या की गई थी.


यह घटना गोधरा कांड के एक दिन बाद हुई थी. गोधरा में  रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की 1 बोगी को जला दिया गया था
एहसान जाफरी के साथ उनकी बेटी (फोटो : Facebook Page of Nishrin Jafri Hussain)

नहीं मिला इंसाफ: जाकिया जाफरी

फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वे उनके वकीलों से आगे की प्रक्रिया के लिए फिर से संपर्क करेंगी. उनके मुताबिक मामले में ज्यादातर लोगों को उम्रकैद की सजा मिलनी चाहिए थी.

क्या है गुलबर्ग सोसायटी मामला

यह घटना में गोधरा कांड के एक दिन बाद हुई थी. 27 फरवरी, 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच को जला दिया गया था. घटना में 58 कारसेवकों की मौत हो गई थी.

गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड गुजरात दंगों के उन 9 मामलों में से एक है, जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी कर रही है.

तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी पर भी लगे थे आरोप

इस मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी आरोप लगे थे. 2010 में हुई पूछताछ के बाद एसआईटी ने उन्हें क्लीनचिट दे दी थी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×