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The Quint की 3 जेंडर सेंसिटिव रिपोर्ट लाडली मीडिया अवॉर्ड से सम्मानित

द क्विंट और क्विंट हिंदी के पत्रकारों को उनकी प्रभावशाली स्टोरीज के लिए लाडली मीडिया अवार्ड्स में सम्मानित किया गया.

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भारत
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हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि क्विंट को जेंडर सेंसिटिविटी के लिए 2024 के लाडली मीडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया है. क्विंट की ओर से जर्नलिस्ट प्रतीक्षा मिश्रा, हिमांशी दहिया और अतहर राथर तथा द क्विंट के पूर्व जर्नलिस्ट विष्णुकांत तिवारी को यह अवार्ड मिले हैं. साथ ही द क्विंट की अलीज़ा नूर को जूरी प्रशंसा प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया.

लाडली मीडिया एंड एडवरटाइजिंग अवार्ड फॉर जेंडर सेंसिटिविटी के 14वें संस्करण का समारोह, 4 सितंबर को मुंबई में आयोजित किया गया.

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प्रतिक्षा मिश्रा को 'Khoj: Trans Women Recount The Struggles They Faced In the Search for Housing के लिए वेब फीचर वीडियो (इंग्लिश) कैटेगरी में सम्मानित किया गया.

भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय दशकों से अपनी पहचान बना रहा, लेकिन उनके संघर्ष की कहानियां अक्सर अदृश्य रही हैं. इनमें से कुछ संघर्षों को उजागर करने के प्रयास में, प्रतीक्षा मिश्रा ने दो ट्रांस महिलाओं, अवनी और मुस्कान से उनके आवास खोजने के प्रयासों के बारे में बात की. उन्होंने अपनी पहचान के कारण रोजाना होने वाले भेदभाव पर भी चर्चा की और उस दुनिया के बारे में खुलकर बताया जिसे वे एक दिन देखना चाहती हैं.

हिमांशी दहिया को 'Waiting to Die': In Mizoram, a Struggle to Protect Women from Cervical Cancer, स्टोरी के लिए वेब फीचर (इंग्लिश) कैटेगरी में सम्मानित किया गया. इस स्टोरी को द क्विंट लैब के साथ एक इमर्सिव के रूप में बनाया गया था.

भारतीय महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर है, जिसके हर साल 1,20,000 से ज्यादा नए मामले सामने आते हैं. इनमें से 77,000 से ज्यादा की मौत हो जाती है- यानी मृत्यु दर चौंका देने वाली 63 प्रतिशत है. इन बेहद चौंकाने वाले आंकड़ों के बावजूद, इस मुद्दे को भारत के मुख्यधारा के मीडिया में बहुत कम या बिलकुल भी कवरेज नहीं मिलता.

जून 2023 में, द क्विंट ने देश में सर्वाइकल कैंसर की समस्या की जड़ को समझने की कोशिश की और स्टोरी हमें मिजोरम ले गई. मिजोरम पूर्वोत्तर भारत का एक छोटा सा राज्य है, जहां हर साल देश में सबसे ज्यादा सर्वाइकल कैंसर के मामले दर्ज होते हैं.

विष्णुकांत तिवारी और अतहर राथर ने अपनी स्टोरी Witches Of Jharkhand के लिए वेब फीचर वीडियो (हिंदी) कैटेगरी में पुरस्कार जीता.

उन्होंने अपनी इस स्टोरी में बताया कि कैसे झारखंड के रांची जिले के कंजिया मराईटोली गांव में कम से कम पांच महिलाओं को, जिन पर 'डायन' होने का आरोप लगाया गया, भीड़ ने उनके घरों से खींच लिया. पहली नजर में, ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे आरोप अभी भी लगाए जाते हैं क्योंकि लोग अंधविश्वासी हैं. लेकिन जमीन पर सच्चाई का एक दूसरा पहलू भी नजर आता है. इसलिए, क्विंट ने गहराई से जानने और यह समझने का फैसला किया कि यह प्रथा क्यों जारी है.

अलीज़ा नूर को वेब फीचर वीडियो (इंग्लिश) कैटेगरी में अपनी स्टोरी Camps & Cramps: How Periods Become an Ordeal for Rohingya Refugee Women in Delhi, के लिए जूरी प्रशंसा प्रमाणपत्र भी मिला.

पीरियड पॉवर्टी और स्वच्छ पानी और स्वच्छता तक पहुंच की कमी के संदर्भ में, रोहिंग्या शरणार्थियों जैसा हाशिए पर रहने वाला समुदाय मासिक धर्म से कैसे निपटता है? अलीज़ा नूर ने अपनी इस स्टोरी में यह खोजने की कोशिश की.

लाडली मीडिया एंड एडवरटाइजिंग अवार्ड्स के 14वें संस्करण का समारोह बुधवार, 4 सितंबर को मुंबई में आयोजित किया गया.

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