सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई करने वाले विशेष जज बी एच लोया की संदिग्ध हालात में मौत की वजहों की जांच के लिये दायर याचिकाएं गुरुवार को तीखी टिप्पणियां करने के साथ् खारिज कर दीं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जज की स्वाभाविक मृत्यु हुई थी और इन याचिकाओं में न्याय प्रक्रिया को बाधित करने और इसे बदनाम करने के गंभीर प्रयास किए गए. शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायाधीश लोया के निधन से संबंधित परिस्थितयों को लेकर दायर सारे मुकदमे इस फैसले के साथ समाप्त हो गए.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय बेंच ने इस मामले में याचिकाओं को राजनीतिक हिसाब बराबरी करने वाला करार दिया. सुप्रीम कोर्ट जस्टिस लोया मामले में दायर याचिकाओं पर बेहद कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा-
- सारी जनहित याचिकाएं राजनीतिक हिसाब बराबर करने वाली ओछी और प्रायोजित थीं
- याचिकाएं न्यायिक अधिकारियों और जजों की गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोशिश
- इस तरह के मुकदमों का बोझ डाला गया तो न्यायिक प्रक्रिया पहेली बनकर रह जाएगी
- लोया की मौत के कारणों के हालातों के बारे में चार जजों के बयानों पर संदेह की वजह नहीं
- दस्तावेजों के विवेचना से साफ है कि जस्टिस लोया का निधन स्वाभाविक वजहों से
- जजों के खिलाफ दुराग्रह पैदा करने की कोशिश. यह न्यायपालिका पर अपमानजनक हमला
- याचिकाएं न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधे हमले की कोशिश
- पेश मामला व्यक्तिगत एजेंडे को आगे बढ़ाने की मंशा जाहिर करता है
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के बारे में सोचा लेकिन बाद में ऐसा नहीं करने का निश्चय किया. जज लोया के निधन से संबंधित विवरण के बारे में चार जजों श्रीकांत कुलकर्णी और एस एम मोदक , वी सी बार्डे और रूपेश राठी - के बयानों पर भरोसा करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा ,
उनके बयानों की सच्चाई पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है. बेंच ने कहा कि इन चार जजों के बयान भरोसेमंद, सुसंगत और सच्चाई से परिपूर्ण हैं और इन पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है.
जजों की प्रेस कांफ्रेंस में उठा था जस्टिस लोया की मौत का मामला
न्यायाधीश लोया और ये चार न्यायाधीश शादी में शामिल होने के लिये एक साथ ही नागपुर गए थे और सरकारी गेस्ट हाउस रवि भवन में रूके थे जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. शीर्ष अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी को संयुक्त प्रेस कांफ्रेस करके संवेदनशील मुकदमों को सुनवाई के लिये आवंटित करने के तरीके पर सवाल उठाए थे.
जज लोया की मौत का मामला इनमें से एक था. सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को राजस्थान के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया,राजस्थान के कारोबारी विमल पाटनी, गुजरात पुलिस के पूर्व मुखिया पी सी पाण्डे, राज्य पुलिस की अतिरिक्त महानिदेशक गीता जौहरी और गुजरात पुलिस के अधिकारी अभय चुड़ासमा और एन के अमीन को पहले ही आरोप मुक्त कर दिया था.
पुलिसकर्मियों सहित अनेक आरोपी इस समय सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ कांड में मुकदमे का सामना कर रहे हैं. इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी और बाद में मुकदमा भी मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया था. न्यायाधीश लोया की मृत्यु की परिस्थितियों की स्वतंत्र जांच के लिए कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ओर महाराष्ट्र के पत्रकार बी एस लोन ने शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर की थीं.
इनपुट - पीटीआई, भाषा
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