हाल में इरोम शर्मिला ने अपना 16 साल पुराना अनशन समाप्त कर दिया. उनका अनशन आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट के खिलाफ था. दुनियाभर में विरोध प्रदर्शन और सरकारों पर दवाब बनाने के लिए अनशन या भूख हड़ताल का बखूबी प्रयोग होता रहा है.
दरअसल, अनशन को अहिंसक रूप में विकसित करने का श्रेय महात्मा गांधी को जाता है. भारतीय राजनीति में इसका जिस तरह उपयोग हुआ, वैसा शायद दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिला. यहां हम आपको बताएंगे भारत और दुनिया के कुछ खास लोगों और उनके अनशन के बारे में...
मोहनदास करमचंद गांधी
राजनीति में अनशन को सरकार पर दवाब बनाने का सबसे मजबूत प्रयोग महात्मा गांधी ने किया था. फिनिक्स आश्रम से शुरू हुई अनशन की यात्रा का अगला पड़ाव अहमदाबाद मिल मजदूरों के समर्थन में था. 3 दिन के इस उपवास से राजनीति में अनशन के एक नए दौर की शुरुआत हुई थी.
इसके अलावा गांधी ने हिंदू-मुस्लिम एकता, अछूतों के समर्थन में और पूना पैक्ट जैसे मसलों पर अनशन का उपयोग किया. इन सब में गांधीजी का 21 दिन का अनशन सबसे लंबा था, जो 1943 में उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ किया था.
पोट्टी श्रीरामलू- फादर अॉफ आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के पिता नाम से मशहूर श्रीरामलू को अमरजीवी कहा जाता है. वो गांधी के शिष्य थे. तेलुगूभाषी लोगों के लिए अलग राज्य की मांग करते हुए 19 अक्टूबर 1952 को वे भूख हड़ताल पर बैठे. लोगों के लगातार मनाने के बावजूद उन्होंने अनशन खत्म नहीं किया. गिरते स्वास्थ्य के चलते 15 दिसंबर को उनकी मौत हो गई.
उनके ही अनशन की वजह से नेहरू सरकार को भाषाई आधार पर राज्यों की मांग माननी पड़ी और मुखर्जी आयोग का गठन करना पड़ा. इसी आयोग की अनुशंसा पर 1956 में आंध्र प्रदेश का गठन हुआ जो श्रीरामलू की जीत का प्रमाण है.
जतिन दास और भगत सिंह
लाहौर जेल में राजनीतिक बंदी बनाने की मांग को लेकर जतिन दास ने भूख हड़ताल की. उनकी भूख हड़ताल 13 जुलाई 1929 को शुरू हुई थी. 63 दिन की इस हड़ताल का भारत के आजादी के इतिहास में खास जगह है. इस हड़ताल में भगत सिंह उनके साथ थे. जतिन की भूख हड़ताल उनकी मौत के साथ ही खत्म हुई थी.
मरिअन वालेस डनलप- गांधी के पहले आमरण अनशन का सफलतापूर्वक उपयोग करने वाली महिला
गांधी से पहले इस अंग्रेजी महिला ने सफलतापूर्वक अनशन को दवाब के हथियार के रूप में उपयोग किया था. हाउस अॉफ कॉमन्स के बाहर प्रदर्शन करने के लिए गिरफ्तार डनलप ने 1909 में जेल में ही 91 घंटे का अनशन शुरू कर दिया था. गिरती सेहत की वजह से ब्रिटिश सरकार को उन्हें रिहा करना पड़ा था.
ममता बनर्जी की 25 दिन की भूख हड़ताल
टाटा मोटर्स के सिंगूर प्रोजेक्ट के विरोध में 2006 दिसंबर में ममता बनर्जी भूख हड़ताल पर बैठ गईं थीं. 25 दिनों की इस हड़ताल के जरिए पैदा हुए वोट बैंक से ही 2006 में 30 सीटें जीतने वाली ममता ने 2011 में सरकार बनाई थी. तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कहने पर ममता ने अपनी भूख हड़ताल खत्म की थी.
बॉबी सेंड्स
1981 में 66 दिन की हड़ताल के बाद जेल में इनकी मौत हो गई थी. कई फिल्मों में इनके साहसिक प्रतिरोध को दिखाया गया है. इनकी मौत की वजह से उस समय ब्रिटेन की पीएम मार्ग्रेट थेचर को आलोचना का शिकार होना पड़ा था.
अन्ना हजारे और लोकपाल
प्रसिद्ध समाजसेवी और गांधीवादी अन्ना हजारे का भी अनशन से पुराना वास्ता रहा है. लेकिन सबसे प्रसिद्ध 2011 में लोकपाल के लिए किया गया अनशन था. अन्ना ने 5 अप्रैल से आमरण अनशन शुरू किया था. 9 अप्रैल को जब सरकार ने उनकी मांगें मान ली, तब उन्होंने अपना अनशन खत्म किया था.
इस दौरान अन्ना की लहर में पूरे देश में लोगों ने रैलियां निकालीं, अनशन किए थे. विपक्षी पार्टियों सहित विदेशों से भी अन्ना को समर्थन मिला था. अन्ना ने बाद में अगस्त में भी अनशन किया था. आमआदमी पार्टी इसी अन्ना आंदोलन का मंथन कर निकली है.
प्रसिद्ध अमेरिकी यूनियन लीडर सीजर शावेज
लेटिन-अमेरिकी शावेज ने किसानों के लिए कई बार अनशन किया. उनकी भूख हड़तालें काफी लंबी हुआ करती थीं. 1968 में उन्होंने अपनी किसान यूनियन को मान्यता दिलाने 25 दिन का अनशन किया था. वहीं 1972 में 36 दिन और 1988 में 61 साल की उम्र में उनका 36 दिन का अनशन भी काफी प्रसिद्ध है.
समाजसेवी मेधा पाटकर
प्रसिद्ध समाजसेवी मेधा पाटकर नर्मदा बचाओ आंदोलन के लिए प्रसिद्ध हैं. लेकिन 19 मई 2011 से 28 मई 2011 तक किया गया 9 दिन का अनशन सबसे प्रमुख है. इसके चलते विस्थापन संबंधी उनकी मांगों को मानने महाराष्ट्र सरकार को मजबूर होना पड़ा था.
अरविंद केजरीवाल
मौजूदा राजनेताओं में देखा जाए, तो भारत में भूख हड़ताल करने के मामले में अरविंद केजरीवाल बाकी नेताओं से आगे रहे हैं. 2013 में मार्च-अप्रैल के दौरान दिल्ली में बिजली और पानी के बिलों के खिलाफ अरविंद केजरीवाल भूख हड़ताल पर बैठ गए थे. 15वें दिन उन्होंने अपने आमरण अनशन को खत्म किया था.
इसकी वजह से अरविंद आम आदमी की गुड लिस्ट में शामिल होने में कामयाब रहे थे. वहीं इसके पहले अरविंद, अन्ना के साथ अनशन पर बैठे थे.
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