पहले उत्कल एक्सप्रेस, फिर कैफियात एक्सप्रेस, उसके बाद मुंबई लोकल और अब नागपुर-मुंबई दुरंतो एक्सप्रेस के इंजन समेत 7 कोच पटरी से उतर जाने की खबर है. देश में शायद ही पहले ऐसा कभी हुआ हो कि एक महीने में 4 ट्रेनें पटरी से उतर गई हों. अगस्त महीने में अब तक कुल 4 रेल हादसे हुए है, जिसमें करीब 23 लोगों की मौत हुई है और सैकड़ों घायल हुए हैं.
इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक इन दस सालों में ट्रेनों के पटरी से उतर जाने की वजह से 2016-17 में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं.
ट्रेन हादसों से एक साल में 193 लोगों की मौत
31 मार्च 2017 और 11 अगस्त 2017 को राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़े और इंडिया स्पेंड के रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक दशक में पटरी से उतर जाने के कारण सबसे ज्यादा रेल हादसे 2016-17 में हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल में 193 लोगों की मौतें ट्रेन हादसों की वजह से हुई हैं. इस साल मार्च 2017 तक कम से कम 104 रेल हादसा हुआ है. इन हादसों में 78 हादसे पटरी से उतरने की वजह से हुए.
पिछले दस सालों में कितने हादसे, कितनी मौतें?
रिपोर्ट के मुताबिक
भारत में पिछले दस सालों में 1,394 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं. इन दुर्घटनाओं में से, 51% मतलब 708 हादसे ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह से हुए. पिछले 10 सालों में ट्रेन के पटरी से उतरने के कारण 458 लोग मारे गए हैं.
साल 2017 में कितने लोगों की हुई मौत?
19 जुलाई 2017 में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने बताया, 2017 के पहले 6 महीनों में 29 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 57 लोग मारे गए और 58 घायल हुए थे. इन 29 दुर्घटनाओं में, 69% मतलब 20 हादसे पटरी से उतरने की वजह से हुई. जिसमें 39 मौतें और 54 लोग घायल हुए थे.
रेलवे ट्रैक पर जरूरत से ज्यादा दबाव
अप्रैल, 2017 में पब्लिश इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर, 2016 और मार्च 2017 के दौरान पटरी से ट्रेन के पलटने की हर घटना के पीछे रेलवे ट्रैक का अत्यधिक इस्तेमाल ही वजह बनी है.
फरवरी 2015 में जारी इंडियन रेलवे, लाइफलाइन ऑफ द नेशन श्वेत पत्र के मुताबिक भारतीय रेल के 1,219 लाइन सेक्शन में से कम-से-कम 40% का इस्तेमाल 100% से ज्यादा हुआ है.
तकनीकी रुप से किसी सेक्शन का इस्तेमाल अगर अपनी क्षमता से 90 फीसदी से ज्यादा होता है तो उसे सेचुरेट मान लिया जाता है.
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