अमृतसर में शुक्रवार को रावण दहन के वक्त हुए रेल हादसे के बाद ट्रेन के ड्राइवर का बयान सामने आया है. ड्राइवर ने लिखित बयान में कहा है कि उसने गाड़ी रोकने की पूरी कोशिश की थी.
जैसे ही मैंने ट्रैक पर भीड़ देखी तो मैंने लगातार गाड़ी का हॉर्न बजाया और इमरजेंसी ब्रेक लगाये, लेकिन गाड़ी जब कंट्रोल होती तब तक कई लोग ट्रेन की चपेट में आ चुके थे. गाड़ी स्लो होने पर लोगों ने ट्रेन पर पत्थरों हमला बोल दिया. यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए मैंने गाड़ी आगे बढ़ा दी.ट्रेन ड्राइवर
रेलवे की गलती नहीं: रेलवे DRM
फिरोजपुर DRM विवेक कुमार पहले ही कह चुके हैं कि घटना के लिए रेलवे दोषी नहीं है. उन्होंने कहा था कि ‘आयोजन की जानकारी रेलवे को नहीं दी गई थी. घटना के लिए रेलवे की जिम्मेदारी नहीं बनती. ड्राइवर ने लोगों को देखकर ब्रेक भी लगाने की कोशिश की थी. इससे ट्रेन की स्पीड भी 91 किलोमीटर से 68 किलोमीटर तक आ गई थी.’
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पुलिस ने अनुमति दी, लेकिन शर्तों के साथ
पुलिस कमीशनर ने बताया कि प्रशासन की तरफ से धोबी घाट में चल रहे दशहरे कार्यक्रम की अनुमति दी गई थी लेकिन कुछ शर्तों के साथ. उन्होंने कहा, सिर्फ यही नहीं बल्कि 20 अलग-अलग जगहों पर ऐसे कार्यक्रम की अनुमति दी गई थी.
आपको बता दें कि शुक्रवार शाम को अमृतसर में जोड़ा फाटक के पास भयानकर रेल हादसा हुआ था. दशहरा देखने जुटे लोगों की भीड़ पर पठानकोट से अमृतसर आ रही DMU जालंधर-अमृतसर एक्सप्रेस गुजर गई थी. इस हादसे में 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं कई लोग घायल हैं.
घटना के बाद से लोगों में भयानक गुस्सा है. कार्यक्रम में गेस्ट के तौर मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी शामिल हुई थीं. लोगों ने आरोप लगाया कि जैसे ही उन्हें दुर्घटना की जानकारी मिली, वे तुरंत घटनास्थल से भाग गईं. इस पर सिद्धू ने कहा कि उनकी पत्नी को उस दिन 6 फंक्शन में जाना था, धोबी घाट वाला उनका चौथा फंक्शन था. जब वो पांचवे फंक्शन में जा रही थी, तब उन्हें यहां हुई घटना के बारे में जानकारी मिली. इसके बाद वो तुरंत अस्पताल पहुंची.
सीएम अमरिंदर सिंह ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की है. साथ ही एक न्यायिक जांच भी बिठाई गई है. जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट 4 हफ्ते में सौंपेगी.
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