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ट्रंप ने भारत की हवा को बताया ‘गंदा’- कड़वा है, लेकिन सच है

भारत की हवा की हालत आखिर है क्या? कुछ आंकड़े

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान भारत की हवा को ''गंदा'' बताया था. उन्होंने चीन की हवा को भी गंदा बताया था, साथ ही कहा था कि रूस भी अपनी हवा की परवाह नहीं करता.

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भारत में ट्रंप के इस बयान पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. इनमें ऐसी प्रतिक्रियाएं भी शामिल हैं, जहां लोग मान रहे हैं कि ट्रंप ने जो कहा है वो कड़वा सच है. ऐसे में कुछ आंकड़ों पर नजर दौड़ाकर समझने की कोशिश करते हैं कि भारत की हवा की हालत आखिर है क्या?

शुक्रवार को कुछ जगहों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI)

अमेरिकी दूतावास, दिल्ली: 480

नॉलेज पार्क, ग्रेटर नोएडा: 470

पवई, मुंबई: 148

सनथनगर, हैदराबाद: 171

माहीनगर, अहमदाबाद: 155

तालकटोरा, लखनऊ: 247

GVM कॉरपोरेशन, विशाखापत्तनम: 165

मुरादपुर, पटना: 162

0 और 50 के बीच AQI को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है.

नवजात बच्चों पर वायु प्रदूषण के प्रभाव के एक वैश्विक व्यापक विश्लेषण के मुताबिक, साल 2019 में भारत में 116000 नवजातों की पहले महीने में ही जान चली गई.

भारत में सबसे ज्यादा हेल्थ रिस्क अब वायु प्रदूषण की वजह से ही है. साल 2019 में दिल की बीमारी, स्ट्रोक, डायबिटीज, फेफड़े के कैंसर, पुरानी फेफड़ों की बीमारी और खराब हवा के कारण नवजात संबंधी बीमारियों से 1.67 मिलियन लोगों की मौत हुई थी.

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2020 स्टडी में पाया गया कि इन नवजातों की कुल मौतों में से आधी बाहरी वायु प्रदूषण की वजह से हुईं.

एक और आंकड़े की बात करें तो भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल जैसे दक्षिण एशियाई देश 2019 में PM 2.5 के सबसे ज्यादा स्तर वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल थे.

ऊपर दिए गए कई आंकड़ों और पहलुओं के आधार पर साफ दिखता है कि भारत में हवा की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती.

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