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सरकारी सेवाओं के लिए आधार का ऑथेंटिकेशन सिस्टम 12% बार फेल: UIDAI

आंकड़ों से साफ है कि बॉयोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन की नाकामी की दर में काफी बढ़ोतरी हुई है

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UIDAI के CEO अजय भूषण पांडेय ने 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में आधार पर दिए प्रेजेंटेशन का निष्कर्ष बताया. उन्होंने आधार की तकनीकी जानकारी को इस प्रेजेटेंशन के जरिए से कोर्ट को समझाया, साथ ही एक बड़ी जानकारी भी दी. UIDAI के आंकड़ों के मुताबिक, बायोमैट्रिक के जरिए ऑथेटिंकेशन 12% बार नाकाम साबित हुई है.

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अजय भूषण पांडेय के प्रजेंटेशन के स्लाइड नंबर 42 में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, सरकारी सेवाओं के लिए बॉयोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन की सफलता दर 2013 में 96.4% थी, जो 2018 में गिरकर 88% हो गई.

इसी अवधि में, प्राइवेट सर्विसेज के लिए ऑथेंटिकेशन की सफलता दर में इजाफा हुआ है, जैसे बैंक और टेलीकॉम कंपनियों में इसमें इजाफा हुआ.

पहली बार सरकार ने इतनी बड़ी खामी को माना

आंकड़ों से साफ है कि बॉयोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन की नाकामी की दर में काफी बढ़ोतरी हुई है. साल 2012 में ये 0.4% थी, जो अब बढ़कर 12 फीसदी हो गई है. ये पहली बार है जब UIDAI ने पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम या सरकारी स्कीम को हासिल करने के दौरान इतनी बड़े फेल रेट को खुद माना है.

इसका मतलब क्या है?

UIDAI ने अपनी सफाई में कहा है कि 12 फीसदी फेल रेट का ये कतई मतलब नहीं है कि जिन लोगों के ऑथेंटिकेशन में दिक्कत आई हैं, उन्हें सब्सिडी देने से मना कर दिया गया हो, क्योंकि उस हालात में दूसरे विकल्प भी खुले रहते हैं. हालांकि, UIDAI के CEO ने गुरुवार को ये भी माना है कि अथॉरिटी के पास ऑथेंटिकेशन फेल हो जाने से सब्सिडी या दूसरे स्कीम का लाभ न दिए जाने वाले लोगों का कोई डेटा मौजूद नहीं हैं.

बता दें कि हाल के सालों में कई मीडिया रिपोर्ट सामने आईं, जिसमें ऑथेंटिकेशन फेल हो जाने के कारण स्कीम का फायदा नहीं देने की बात कही गई.

जानकार क्या कहते हैं?

जानकारों का मानना है कि ऑथेंटिकेशन की विफलता दर, ऑथेंटिकेशन रिक्वेस्ट के साथ बढ़ती है, जब से आधार को सभी सर्विसेज के साथ लिंक करने का नियम बनाया गया है.

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