वैसे तो अब तक डाक टिकट देश के महान लोगों, स्मारकों और धरोहर के नाम पर ही छपते हैं. लेकिन कानपुर में डाक विभाग ने अंडरवर्ल्ड डॉन माफिया का भी डाक टिकट जारी कर दिया. प्रधान डाक घर से अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन और बागपत जेल में मारे गए मुन्ना बजरंगी के नाम से डाक टिकट जारी हुए हैं. डाक विभाग की योजना ‘माई स्टैम्प’ के तहत ये डाक टिकट जारी किए गए हैं.
क्या है ये डाक टिकट?
दरअसल, मुन्ना बजरंगी और छोटा राजन के टिकट के लिए डाक विभाग को निर्धारित 600 रुपए फीस अदा की गई. लेकिम इस योजना की पोल उस वक्त खुली, जब टिकट छापने से पहले न फोटो की पड़ताल की गई और न किसी तरह का प्रमाणपत्र मांगा गया. अब जब मामला मीडिया में आया है इसके जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
बता दें कि 9 जुलाई 2018 को बागपत जेल गैंगवार में मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी गई थी.
साल 2017 में ‘माई स्टैम्प’ योजना की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा की गई थी. इसके तहत कोई भी व्यक्ति अपनी या अपने परिजनों के नाम की 12 फोटो डाक टिकट पर छपवा सकता है. इसके लिए 300 रुपये का शुल्क अदा करना होता है. ये डाक टिकट अन्य टिकटों की तरह ही मान्य होते हैं,
लेकिन इसकी प्रक्रिया इतनी आसान नहीं है. इन्हें बनवाने के लिए आवेदक को पासपोर्ट साइज की फोटो और पूरा ब्योरा देना पड़ता है. एक फार्म भरवाया जाता है, जिसमें पूरी जानकारी ली जाती है. ये डाक टिकट केवल जीवित व्यक्ति का ही बनता है, जिसके सत्यापन के लिए उसे खुद डाक विभाग आना पड़ता है. फोटो, आधार कार्ड, ड्राइविग लाइसेंस या वोटर आइडी कॉपी देनी पड़ती है. क्रॉस चेकिंग के बाद आवेदक की फोटो वाला डाक टिकट जारी होता है. लेकिन इन सब नियम के बावजूद दो माफिया डॉन के डाक टिकट छप गए.
डाक विभाग के पोस्ट मास्टर जनरल वीके वर्मा ने कहा कि इसके लिए एक नियम बना हुआ है. इसके तहत टिकट जारी करवाने वाले शख्स को खुद डाक घर आना होता है. जहां वेबकैम के जरिए उसकी तस्वीर ली जाती है. अगर किसी गुंडे या माफिया के नाम डाक टिकट जारी हुए हैं तो उसकी जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
ये पूरा मामला तब सामने आया जब हिंदुस्तान अखबार के एक पत्रकार ने मुन्ना बजरंगी (प्रेमप्रकाश सिंह) और छोटा राजन (राजेन्द्र एस निखलजे) के नाम से फार्म भरा. लेकिन डाक विभाग ने बिना किसी ठोस जांच पड़ताल के डाक टिकट बनवा दिया.
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