ADVERTISEMENTREMOVE AD

गोरखपुर हत्याकांड: यूपी पुलिस अपने ही इंस्पेक्टर, सिपाहियों को नहीं खोज पा रही?

Gorakhpur Murder: मौत के 85 घंटे से भी अधिक गुजरने के बाद आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है

Published
भारत
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र गोरखपुर (Gorakhpur) में मनीष गुप्ता की कथित पुलिस की पिटाई से मौत के 85 घंटे बाद भी आरोपी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है. पूरे मामले में पुलिस महकमें पर शुरू से ही लीपापोती के आरोप लग रहे हैं. FIR से 3 पुलिस वालों का नाम हटाने का दबाव बनाने का आरोप हो या मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सामने आई सच्चाई... तमाम चीजों को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पिछले 4 सालों से अधिक समय से कानून तोड़ने वालों के प्रति यूपी सरकार भले ही जीरो टॉलरेंस और अपराध में कोई भेदभाव नहीं करने का दावा कर रही हो, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि योगी सरकार इस मामले में जानबूझकर ढिलाई बरत रही है.

पुलिसकर्मी नहीं हुए गिरफ्तार, विपक्ष के गंभीर आरोप

बता दें कि खुद सीएम योगी आदित्यनाथ अपराध के खिलाफ पुलिस को खुली छूट देने के लिए जाने जाते हैं, उनके कार्यकाल में हुए एनकाउंटर के आंकड़ों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है. 2017 से, 8,472 "पुलिस मुठभेड़ों" में 146 मारे गए हैं, और इस तरह की गोलीबारी में 3,302 कथित अपराधी घायल हुए हैं. लेकिन अपने ही पुलिसकर्मी जब अपराधी बन गए तो ये सख्ती फिलहाल उनके खिलाफ नहीं नजर आ रही है. ये तमाम सवाल विपक्षी नेता अब उठाने लगे हैं.

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार के ‘जीरो टॉलरेंस’ के दावे को जुमला बताते हुए ट्वीट किया कि,

"मनीष गुप्ता हत्याकांड’ में पुलिसवालों की गिरफ्तारी न होना ये दर्शाता है कि वो फरार नहीं हुए हैं उन्हें फरार कराया गया है. दरअसल कोई आरोपियों को नहीं बल्कि खुद को बचा रहा है क्योंकि इसके तार ‘वसूली-तंत्र’ से जुड़े होने की पूरी आशंका है. ‘जीरो टालरेंस’ भी भाजपाई जुमला है.”

अखिलेश यादव ने यूपी सरकार पर आरोप लगाया है कि, आरोपी पुलिसकर्मियों को सरकार की शह पर ही फरार करवाया गया है.

0

पुलिस पर जबरन FIR से नाम हटाने का आरोप

जब मनीष गुप्ता हत्याकांड ने राजनीतिक तूल पकड़ना शुरू किया तो सूबे के मुख्यमंत्री परिवार से मिलने पहुंचे थे. एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने ये भी बताया कि उनके ही कहने पर तुरंत मुकदमा दर्ज किया गया.

"2 दिन पहले गोरखपुर में एक दुखद घटना घटी थी. मैंने उसी दिन गोरखपुर पुलिस को कहा था कि तत्काल मुकदमा दर्ज होना चाहिए और दोषी कोई भी हो बख्शा नहीं जाएगा. अपराधी, अपराधी होता है. मैंने कल सुबह ही यहां के जिला प्रशासन को कहा था कि मैं पीड़ित परिवार से मिलना चाहूंगा."
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

यूपी के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए बताया था कि “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 6 सस्पेंड हुए पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए हैं और हम उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे.”

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लेकिन ध्यान देने कि बात है कि FIR में केवल 3 पुलिस कर्मी को नामजद किया गया है. यहां तक कि मृतक मनीष गुप्ता की पत्नी ने भी आरोप लगाया कि FIR के लिए उन लोगों ने छह पुलिस वालों के खिलाफ शिकायत दी थी, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने जबरन तीन नाम हटवा दिए.

एक वीडियो भी सामने आया था, जिसमें पुलिस अधिकारी मामले को रफादफा करने की बात कह रहे हैं. जिस पर योगी सरकार की जमकर आलोचना हुई थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट खोल रही पोल

पहले तो गोरखपुर पुलिस इसे हत्या मानने को ही तैयार नहीं थी. पुलिस का शुरू से ही स्टैंड रहा कि होटल में कुछ संदिग्धों के होने की खबर मिली थी, जिनकी तलाश में रामगढ़ताल पुलिस होटल पहुंची. पुलिस को देखकर हड़बड़ाहट में मनीष होटल के कमरे में गिर गए. गिरने के दौरान चोट लगने से उसकी मौत हो गई.

लेकिन पीड़ित मनीष गुप्ता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस प्रशासन के दावों की पोल खोल देती है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक उनकी बर्बरता से पिटाई की गई थी. उनके शरीर पर गंभीर चोट के निशान मिले हैं. वहीं सर पर गहरी चोट भी लगी है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×