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उपहार सिनेमा कांड के 20 साल बाद की Exclusive तस्वीरें

आग के काले धुएं की वजह से उपहार सिनेमाहॉल एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.

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आग के काले धुएं की वजह से उपहार सिनेमाहॉल  एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.
नई दिल्ली के उपहार सिनेमा में आज भी वक्त वहीं रुका हुआ है (फोटो: The Quint)

13 जून 1997: सनी देओल, सुनीश शेट्टी और अक्षय खन्ना की फिल्म ‘बॉर्डर’ बड़े पर्दे पर रिलीज हुई थी. नई दिल्ली के उपहार सिनेमाहॉल के बाहर फिल्म का फर्स्ट डे,फर्स्ट शो देखने के लिए लंबी कतारें लगी थीं. शाम करीब 4.55 बजे सिनेमाहॉल के ग्राउंड फ्लोर के ट्रांसफार्मर में चिंगारी उठी और देखते ही देखते वो भीषण आग में तब्दील हो गई. आग बहुत तेजी से फैली और पूरे ऑडिटोरियम में फैल गई. आग के काले धुएं की वजह से वो सिनेमाहॉल एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.

अब उस हादसे के 20 साल बाद क्विंट हिंदी ने उपहार सिनेमाहॉल के अंदर के हालातों को कैमरे में कैद किया है. देखिए तस्वीरें...



आग के काले धुएं की वजह से उपहार सिनेमाहॉल  एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.
आगे की तरफ लगी सीटों के लोग बच गए क्योंकि वहां के दरवाजे सीधा सड़क पर खुलते थे (फोटो: The Quint)
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आग के काले धुएं की वजह से उपहार सिनेमाहॉल  एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.
सबसे ज्यादा मौतें बालकनी में हुईं जहां एसी के जरिए जहरीला धुआं सिनेमाहॉल में आ घुसा (फोटो: The Quint)

इस हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई थी जिनमें से 23 बच्चे भी थे. मौत का कारण दम घुटना बताया गया था.



आग के काले धुएं की वजह से उपहार सिनेमाहॉल  एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.
बालकनी के कुछ Exit गेट ज्यादा सीटों को लगाने की वजह से ब्लॉक हो गए थे. (फोटो: The Quint)


आग के काले धुएं की वजह से उपहार सिनेमाहॉल  एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.
जो 59 लोग इस हादसे में मरे उनमें से एक भी आग में जलने की वजह से नहीं मरा बल्कि सभी की मौत दम घुटने की वजह से हुई (फोटो: The Quint)

उपहार सिनेमा के मालिकों ने बालकनी में 52 एक्स्ट्रा सीटें लगवाई थीं, साथ ही अपने परिवार के लिए उन्होंने एक बॉक्स भी बनवाया था. जिसकी वजह से बालकनी के दाईं तरफ से EXIT के सभी रास्ते पूरी तरह बंद हो गए थे.

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आग के काले धुएं की वजह से उपहार सिनेमाहॉल  एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.
आठ साटों वाला एक बॉक्स बालकनी के दाईं तरफ लगा रखा था जहां पर एक EXIT गेट होना चाहिए था (फोटो: The Quint)

जो लोग बालकनी में बैठे थे वो लॉबी एरिया में नहीं जा पाए क्योंकि गेटकीपर ने मूवी शुरू होने के बाद मुख्य EXIT गेट को लॉक कर दिया था. कई लोग जो बालकनी में बैठे थे उन्होंने आग से बचने के लिए टॉयलेट में जाकर शरण ली जहां दम घुटने से उनकी मौत हो गई.



आग के काले धुएं की वजह से उपहार सिनेमाहॉल  एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.
उपहार सिनेमा के अंदर बना इलेक्ट्रिसिटी कंट्रोल रूम (फोटो: The Quint)

वहां न तो कोई पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम था और न ही EXIT लाइट्स. साथ ही हॉल से निकलने का रास्ता भी लॉक कर दिया गया था.



आग के काले धुएं की वजह से उपहार सिनेमाहॉल  एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.
सिनेमाहॉल की लॉबी में बना कैफेटेरिया (फोटो: The Quint)

सीबीआई ने उस साल के आखिर में एक चार्जशीट दायर की. 16 लोगों के लिए खिलाफ लापरवाही से दूसरों की जिंदगी को जोखिम में डालने का मुकदमा चला.

20 साल तक ये केस सेशन कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में खींचा गया. ट्रायल के दौरान अंसल भाईयों के साथ-साथ 14 लोगों को 2 से 7 साल के बीच जेल भी हुई. अंसल बंधुओं से दिल्ली सरकार को ट्रॉमा सेंटर बनाने के लिए 60 करोड़ रुपए देने के लिए भी कहा गया.

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आग के काले धुएं की वजह से उपहार सिनेमाहॉल  एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.
उपहार सिनेमा के अंदर लॉबी एरिया में लोगों के बैठने की जगह (फोटो: The Quint)


आग के काले धुएं की वजह से उपहार सिनेमाहॉल  एक गैसचैंबर में तब्दील हो गया और कई मासूमों की जिंदगी निगल गया.
आग लगने के दौरान हॉल में बिजली चली गई और पूरे सिनेमाघर में सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा हो गया. (फोटो: The Quint)

आखिरकार, फरवरी 2017 में सीबीआई की रिव्यू पेटिशन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल अंसल को 1 साल की सजा सुनाई लेकिन उनके बड़े भाई सुशील अंसल अपनी बड़ी उम्र की वजह से जेल जाने से बच गए हालांकि सुनवाई के दौरान सुशील ने भी 5 महीने और 20 दिन के लिए जेल की हवा खाई थी.

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