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यूपी में ‘ईज ऑफ डूइंग क्राइम’: हाथरस तो बस एक उदाहरण है

क्या न्यूनतम अपराध के वादे पर योगी सरकार फेल साबित हुई है?

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उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में दलित लड़की के साथ कथित गैंगरेप की घटना के बाद योगी सरकार बैकफुट पर है. प्रदेश की कानून व्यवस्था पर विपक्ष सवाल उठा रहा है. विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सवाल उठ रहा है कि सरकार अपराधियों के खिलाफ है या पिर पीड़ित परिवार के... हाल ही में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस लिस्ट में यूपी के 12वें से दूसरे नंबर पर आया लेकिन जिस तरह से धड़ाधड़ अपराध हो रहे हैं, लगता है कि राज्य में सिर्फ 'ईज ऑफ डूइंग क्राइम' है. तो क्या न्यूनतम अपराध के वादे पर योगी सरकार फेल साबित हुई है? इसका जवाब देंगे, लेकिन उससे पहले सीएम योगी के उन बयानों को जान लीजिए, जो उन्होंने अपराध और अपराधियों को रोकने के लिए दिए थे

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पहला बयान 1-

19 मार्च 2017 को प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद पहली बार योगी आदित्यनाथ गोरखपुर पहुंचे. 26 मार्च को बेनीगंज (गोरखपुर) में भाषण के दौरान उन्होंने कहा, 2 महीने के अंदर लोगों को एहसास होगा कि प्रदेश में सरकार है. हम लोगों ने कह दिया है कि सत्ता के संरक्षण में पल रहे गुंडे, माफिया, अपराधी, लुटेरे सब के सब मेहरबानी करके उत्तर प्रदेश छोड़कर चले जाएं. यहां रहना है तो उनके लिए दो ही जगह होंगी और वहां कोई नहीं जाना चाहेगा.

दूसरा बयान 2-

उत्तर प्रदेश विधानसभा में योगी आदित्यनाथ ने कहा, अभी सरकार को 2 महीने भी नहीं हुए हैं. आपने जो तुलनात्मक घटनाओं के अध्ययन की बात कही है, मुझे लगता है कि एक वर्ष होने दीजिए. हर व्यक्ति जानता है कि अपराध कौन करा रहा है.

तीसरा बयान 3-

दिसंबर 2017 में योगी आदित्यनाथ से इंडिया टुडे के एक कार्यक्रम में पूछा गया कि आपने बयान दिया था गुडें जेल में जाएंगे या यमराज के पास. तब योगी ने कहा था तो मैं क्या अपराधियों की आरती ऊतारूं.

8 घटनाएं बताती हैं कि उत्तर प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग क्राइम है

29 सितंबर 2018: गाड़ी नहीं रोकने पर पुलिसवाले ने गोली मार दी

लखनऊ में एक पुलिसवाले ने सरेआम एपल के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी. गोली मारने वाले पुलिसकर्मी का कहना था कि एपल के एरिया मैनेजर को गोली इसलिए मारी क्योंकि चेकिंग के दौरान उसने अपनी एसयूवी कार नहीं रोकी. पुलिस पर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की. इस मामले में दो पुलिसकर्मियों प्रशांत चौधरी और संदीप कुमार को हिरासत में लिया गया और पद से बर्खास्त कर दिया गया.

18 अक्टूबर 2019: ऑफिस में घुसकर नेता की गला रेतकर हत्या

लखनऊ में ऑफिस में घुसकर हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की गला रेतकर हत्या कर दी गई. उत्तर प्रदेश एटीएस के मुताबिक, कमलेश तिवारी की दो लोगों ने हत्या की थी. दोनों परिचित बनकर ऑफिस में घुसे थे, फिर वारदात को अंजाम दिया.

19 मई 2020: कैमरे के सामने SP नेता और बेटे की गोली मारकर हत्या

संभल में कैमरे के सामने समाजवादी पार्टी के नेता और उनके बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी गई. वीडियो में साफ दिखा कि आसपास बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं. दो लोगों ने हाथ में राइफल ली है. कुछ लोग उन्हें समझाने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ देर बाद ही दोनों आरोपी पीछे से आ रहे समाजवादी पार्टी के नेता और उनके बेटे की तरफ मुड़ते हैं और फायरिंग कर देते हैं. फिर बड़े आराम से वहां से चले जाते हैं.

6 जून 2020: मंदिर में घुसने को लेकर विवाद, घर में घुसकर मारी गोली

अमरोहा में मंदिर में प्रवेश को लेकर हुए विवाद में 17 साल के एक दलित लड़के को रात के वक्त घर में घुसकर गोली मार दी गई. मृतक विकास के पिता ओम प्रकाश जाटव के मुताबिक, 31 मई को बेटा डोमखेड़ा गांव में मंदिर गया. तभी कथित ऊंची जाति के चार लोगों से झगड़ा हुआ. उन्होंने बेटे को बुरी तरह से मारा, लेकिन स्थानीय लोगों ने बचा लिया. ओम प्रकाश के मुताबिक, पुलिस से शिकायत करने पर भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई. नतीजा यह हुआ कि 6 जून की रात चार लोगों ने घर में घुसकर बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी.

19 जून 2020: उन्नाव में पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई

उन्नाव में 19 जून को एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्या के पीछे क्षेत्र में सक्रिय रेत और भू माफिया का हाथ बताया गया.

20 जुलाई 2020: बेटियों के सामने पत्रकार को गोली मारी और फरार

गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी को बेटियों के सामने घर के पास गोली मार दी गई. विक्रम जोशी विजय नगर की माता कॉलोनी में थे. जब उन्हें गोली लगी, तब वे अपनी दो बेटियों के साथ बाइक पर कहीं जा रहे थे. इलाज के दौरान 22 जुलाई को उन्होंने दम तोड़ दिया. इसके बाद पुलिस पर मामले को गंभीरता से लेने और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने को लेकर सवाल खड़े हुए थे.

24 अगस्त 2020: थाने से 500 मीटर की दूरी पर पत्रकार को दौड़ाकर गोली मारी

बलिया में थाने से महज 500 मीटर की दूरी पर एक पत्रकार को दौड़ाकर गोली मारी गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वारदात बलिया के फेफना थाने के पास हुई. पत्रकार रतन सिंह ने हमलावरों से बचने के लिए भागने की भी कोशिश की, लेकिन बदमाशों ने उन्हें दौड़ाकर गोली मार दी.

14 अगस्त 2020: घर में घुसकर ग्राम प्रधान पर एक के बाद एक 6 गोली चलाई

आजमगढ़ के तरवां में एक दलित प्रधान सत्यमेव जयते की गोली मारकर हत्या कर दी गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावरों ने प्रधान के घर में उन पर 6 गोलियां चलाईं. वहीं घटना के विरोध में गांव वालों ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें भगदड़ मच गई. आरोप है कि भगदड़ की वजह से 8 साल के बच्चे की मौत हो गई. सीएम योगी के निर्देश के बाद मौत के दोनों मामलों में दो पुलिसकर्मियों, तरवां थाने के इंस्पेक्टर मंजय कुमार और स्थानीय आउटपोस्ट इनचार्ज शिव भजन को निलंबित कर दिया गया.

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उत्तर प्रदेश में अपराध साल दर साल बढ़ते गए

उत्तर प्रदेश में न्यूनतम अपराध का वादा करने वाली योगी सरकार भले ही एनकाउंटर वाली सरकार कही जाए, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में साल दर साल अपराध बढ़े हैं. साल 2016 में अखिलेश यादव की सरकार में 4,94,025 मामले दर्ज किए गए. साल 2017 में योगी सरकार आई, लेकिन अपराध के आंकड़े बढ़कर 600082 पहुंच गए. अगले साल यानी 2018 में इन आंकड़ों में कुछ कमी जरूर आई (585157), लेकिन साल 2019 में फिर से ये 6,28,578 पर पहुंच गए.

क्या न्यूनतम अपराध के वादे पर योगी सरकार फेल साबित हुई है?

देश में सबसे ज्यादा अपराध उत्तर प्रदेश में होते हैं

देश में साल 2019 में जितने अपराध हुए उसमें 12.2% सिर्फ उत्तर प्रदेश में हुए. यहां क्राइम रेट 278.2 है. उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र है. यहां देश का 9.9% अपराध हुआ. तीसरे नंबर पर केरल और तमिलनाडु हैं यहां देश की तुलना में 8.8% अपराध हुआ.

क्या न्यूनतम अपराध के वादे पर योगी सरकार फेल साबित हुई है?

महिलाओं/दलितों के खिलाफ अपराध

14 अगस्त 2020 : 13 साल की दलित लड़की के साथ रेप, आंख फोड़ दी, जीभ काट ली

लखीमपुर में 13 साल की दलित नाबालिग के साथ रेप किया गया. परिवार के मुताबिक, आरोपियों ने लड़की की आंखें फोड़ दीं और जीभ काट दी. इसके बाद गले में रस्सी बांधकर खेतों में घसीटा. 14 अगस्त को नाबालिक दोपहर करीब 1 बजे गन्ने के खेत में शौच के लिए गई थी. देर रात घर नहीं लौटी तो खोजबीन हुई और गन्ने के खेत में शव मिला.

1 अक्टूबर 2020 : 11 साल की दलित लड़की की ईंट-पत्थर से कुचलकर हत्या

भदोही में 11 साल की दलित नाबालिग का सिर ईंट-पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी गई. चकराजाराम तिवारीपुर गांव में दोपहर के वक्त दलित नाबालिग शौच के लिए गई थी. काफी देर तक नहीं लौटी तो परिजनों ने खेत की तरफ जाकर देखा. वहां खून से सनी बेटी की लाश पड़ी थी. चेहरे और उसके दूसरे अंगों पर चाकू से हमला करने के निशान थे.

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14 सितंबर 2020 : दलित की बेटी कहती रही रेप हुआ है, पुलिस ने नहीं माना

हाथरस में 19 साल की एक दलित की बेटी कहते-कहते मर गई कि उसके साथ रेप हुआ है, लेकिन पुलिस ने उसकी एक न सुनी, बल्कि मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहती रही कि रेप नहीं हुआ था. इतना ही नहीं, पुलिस ने पीड़िता के घरवालों से बेटी के अंतिम संस्कार का हक भी छीन लिया. रात के अंधेरे में पीड़िता के शव को उसी के गांव में ले जाकर जला दिया.

परिजनों ने पुलिस के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की तो आरोप है कि डीएम साहब डराने के लिए उनके घर पहुंच गए. पीड़िता के भाई ने कहा कि पुलिस घरवालों को डरा रही है. मार रही है. यहां तक की गांव में मीडिया की एंट्री पर भी रोक लगा दी गई. जब हंगामा बढ़ा तो आनन-फानन में योगी सरकार ने एक्शन लिया.

पीडि़ता के परिवार के मुताबिक, हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बुलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 4 लोगों ने 19 साल की युवती से गैंगरेप किया था. आरोपियों ने लड़की की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी. दिल्ली में इलाज के दौरान पीड़ित की मौत हो गई. लेकिन अब यूपी सरकार पीड़ित परिवार के ही नार्को टेस्ट की बात कर रही है.

3 अक्टूबर 2020: दलित लड़की का क्षत विक्षत शव मिला, कंकाल के पास पड़े कपड़े से पहचान

कानपुर देहात में 3 अक्टूबर को एक नाबालिक लड़की का क्षत विक्षत शव मिला. हालत ऐसी की मानो कंकाल ही हो गई हो. उसके कपड़े और पास पड़े कुछ सामान से पता चला कि ये वही नाबालिग दलित लड़की है, जो पिछले एक हफ्ते से गायब थी. मां-पिता ने बेटी के गायब होने की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी. परिजनों के मुताबिक, मामला कानपुर देहात के रूरा गहोलिया गांव का है. 26 सितंबर को बच्ची शौच के लिए निकली थी. काफी देर तक नहीं लौटी तो खोजबीन के बाद पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई. लेकिन एक हफ्ते तक पुलिस लड़की तक नहीं पहुंच सकी. नतीजा उसकी मौत हो गई.

29 सितंबर 2020: इंजेक्शन देकर दलित लड़की से रेप, फिर रिक्शे में बैठाकर घर छोड़ा

जब देश हाथरस में कथित गैंगरेप की घटना पर दुख जता रहा था, उसी दौरान बलरामपुर में 22 साल की एक और दलित लड़की को नशे का इंजेक्शन देकर गैंगरेप किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 29 सितंबर को छात्रा बी.कॉम में एडमिशन लेकर लौट रही थी, तभी 6-7 आरोपियों ने छात्रा का अपहरण कर लिया फिर एक दुकान में ले जाकर गैंगरेप किया. फिर रिक्शे पर बैठाकर घर भेज दिया. इलाज के दौरान छात्रा ने दम तोड़ दिया. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गैंगरेप की पुष्टि हुई है. चोट के कारण पीड़िता की आंत फट गई थी.

3 सितंबर 2020: 3 साल की बच्ची का रेप, गला दबाकर हत्या, शरीर पर चोट के निशान

लखीमपुर खीरी में 3 साल की बच्ची का शव मिला. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बच्ची का शव घर से आधा किलोमीटर की दूरी पर मिला. शरीर पर चोट के कई निशान थे. पुलिस का कहना है कि बच्ची का बलात्कार कर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी गई थी.

उत्तर प्रदेश में सरकार बदली, लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते गए

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में जब अखिलेश यादव की सरकार थी, तब महिलाओं के खिलाफ अपराध के 49,262 मामले दर्ज किए गए थे. साल 2017 में योगी की सरकार आई, लेकिन महिलाओं के खिलाफ अपराध पर कोई लगाम नहीं लगी. साल 2017 में 56,011 केस दर्ज किए गए. वहीं 2018 में ये आंकड़े बढ़कर 59,445 तक पहुंच गए. फिर साल 2019 में महिलाओं के खिलाफ कम नहीं हुए और 59,853 केस दर्ज हुए.

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महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध उत्तर प्रदेश में

देश में महिलाओं के खिलाफ जितना अपराध होता है उसका 14.7% उत्तर प्रदेश में होता है. यहां महिलाओं के खिलाफ क्राइम रेट 55.4% है. दूसरे नंबर पर राजस्थान है. यहां पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध का 10.2% है. तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है. यहां पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध का 9.2% है. यहां महिलाओं के खिलाफ क्राइम रेट 63.1% है. देश में महिलाओं के खिलाफ साल 2017 में 345989, साल 2018 में 363776 और साल 2019 में 391601 मामले दर्ज किए गए.

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उत्तर प्रदेश में दलितों की क्या स्थिति है?

उत्तर प्रदेश में सरकार बदली, लेकिन दलितों के खिलाफ अपराध बढ़ते गए. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में उत्तर प्रदेश में दलितों से जुड़े 10,426 केस दर्ज हुए. तब अखिलेश यादव प्रदेश के मुखिया थे. इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभाली. 19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन दलितों के खिलाफ होने वाले अपराध कम नहीं हुए. साल 2017 में उनके राज्य में दलितों के खिलाफ 11444 मामले दर्ज किए गए. अगले साल यानी 2018 में भी आंकड़े बढ़कर 11,924 हो गए. 2019 में मामली कमी आई और 11,829 केस दर्ज किए गए.

दलितों के खिलाफ एक चौथाई अपराध सिर्फ उत्तर प्रदेश में

भारत में साल 2019 में दलितों (एससी) के खिलाफ जितने अपराध हुए, उनमें एक चौथाई यानी 25.8% अपराध सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही दर्ज किए गए. यहां साल 2019 में दलितों (एससी) के खिलाफ क्राइम रेट 28.6 था.

एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पूरे देश में (साल 2019) दलितों (एससी) के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध उत्तर उत्तर प्रदेश में होते हैं. दूसरे नंबर पर राजस्थान है जहां दलितों (एससी) के खिलाफ पूरे देश की तुलना में अकेले 14.8% अपराध होता है. तीसरे नंबर पर बिहार है जहां पूरे देश का 14.2% अपराध दलितों के खिलाफ होता है.
क्या न्यूनतम अपराध के वादे पर योगी सरकार फेल साबित हुई है?

एनकाउंटर बढ़े, लेकिन अपराध कम नहीं हुए

लोकसभा में गृह मंत्रालय के जवाब के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार के आखिरी तीन सालों के कार्यकाल की बात करें तो साल 2014-15 में 7, 2015-16 में 5 और 2016-17 में 4 एनकाउंटर हुए. वहीं योगी सरकार में साल 2017-18 में 37, साल 2018-19 में 55 और साल 2019-20 में 20 एनकाउंटर हुए. लेकिन इतने एनकाउंटर के बाद भी योगी सरकार अपराधियों में भय पैदा नहीं कर पाई और प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने में लगातार फेल होती रही.

क्या न्यूनतम अपराध के वादे पर योगी सरकार फेल साबित हुई है?

8 पुलिसवालों की हत्या के बाद खुली पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ की पोल

उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का जिक्र हो रहा है तो कानपुर का बिकरू कांड पर बात करना जरूरी है. यह वह घटना है, जो पुलिस और अपराधियों के बीच गठजोड़ का बड़ा उदाहरण है. बिकरू में 2 जुलाई को 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी गई. कुछ दिनों बाद मुख्य आरोपी विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया गया. लेकिन इसके बाद जो खुलासे हुए, वो चौंकाने वाले थे. दरअसल बिकरू कांड से जुड़ा एक ऑडियो सामने आया था, जिसमें शहीद हो चुके सीओ देवेंद्र मिश्रा कानपुर के एसपी ग्रामीण बीके श्रीवास्तव से फोन पर बात कर रहे थे.

ऑडियो से ना सिर्फ एसओ विनय तिवारी और गैंगस्टर विकास दुबे की मिलीभगत की पोल खुली, बल्कि कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव पर भी गंभीर सवाल खड़े हुए. ऑडियो में सीओ एसपी को बता रहे हैं कि कैसे एसओ विनय तिवारी विकास दुबे के पांव छूता है.

सीओ देवेंद्र मिश्रा ने तत्कालीन एसएसपी को विनय तिवारी की करतूतों के बारे में एक चिट्ठी भी लिखी थी लेकिन ये चिट्ठी गायब हो गई. विनय तिवारी को विकास दुबे के साथ मिलीभगत के आरोप में गिरफ्तार किया गया है जबकि अनंत देव तिवारी को दूसरे जिले मे शिफ्ट कर दिया गया.

जाते-जाते सत्ता पर काबिज बीजेपी के एक विधायक की मजबूरी का भी जिक्र करना जरूरी है, जब उन्होंने अपनी ही पुलिस व्यवस्था पर सवाल उठाने हुए फरियाद लगाई थी. "थाने के अंदर तीन दरोगाओं ने मिलकर मुझे मारा, मेरे कपड़े फाड़ दिए"...ये बयान किसी आम आदमी का नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के इगलास से बीजेपी विधायक राजकुमार सहयोगी का था. विधायक का यह बयान सुनकर अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रदेश में कानून व्यवस्था का क्या हाल है? घटना 12 अगस्त की है. विधायक राजकुमार ने बताया था, हम तो गोंडा थाने में बात करने गए थे. वहां एक व्यक्ति के खिलाफ दायर मामले की पूछताछ कर रहे थे. विधायक से मारपीट का मामला जब सीएम योगी तक पहुंचा तो तुरन्त कार्रवाई हुई. गोंडा थाना के एसएचओ अनुज कुमार को सस्पेंड कर दिया गया. अलीगढ़ ग्रामीण एरिया के एएसपी का ट्रांसफर कर दिया गया. IG अलीगढ़ को इस संबंध में जांच के आदेश दिए गए.

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