उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बाहुबलियों पर नकेल कसने के लिए बड़ा कदम उठाया है. जेल में बंद 90 से ज्यादा 'बाहुबलियों' को उनके गृह जिलों से दूर की जेल में ट्रांसफर कर दिया गया है. योगी सरकार ने यह कदम लोकल क्राइम नेटवर्क को खत्म करने की कोशिश में उठाया है.
ट्रांसफर किए गए बाहुबलियों में मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, अतीक अहमद, शेखर तिवारी, मौलाना अनवारुल हक, मुकीम उर्फ काला और आलम सिंह भी शामिल हैं.
मुख्तार अंसारी को लखनऊ से बांदा, अतीक अहमद को नैनी से देवरिया, मुन्ना बजरंगी को झांसी से पीलीभीत और शेखर तिवारी को बाराबंकी से महाराजगंज जेल भेजा गया है.
फोन से ही संभालते हैं क्राइम 'नेटवर्क'
अपर पुलिस महानिदेशक (जेल) जीएल मीणा ने कहा-
डॉन सलाखों के पीछे हैं. हालांकि उनके गिरोह के लोग हत्या, अपहरण, डकैती और रंगदारी आसानी से अंजाम देते हैं और आतंक फैलाते हैं.
उन्होंने बताया कि 90 से ज्यादा ऐसे लोगों को एक जेल से दूसरी जेल में ट्रांसफर किया गया है. जेल प्रशासन को सूचना मिली है कि गिरोह के सदस्य जेल में मिलने आते हैं और वहीं से आपराधिक वारदात की योजना बनती है. औचक छापे में कई अपराधियों की बैरकों से मोबाइल फोन और सिम कार्ड बरामद किए गए हैं.
अस्पतालों का सहारा लेने वाले अपराधियों पर भी नजर
जो अपराधी आगरा, वाराणसी और बरेली के मानसिक अस्पतालों में भर्ती हैं, उनकी पहचान की जा रही है. जेल प्रशासन ने शनिवार को इन अस्पतालों को निर्देश दिया है कि विचाराधीन कैदियों की सेहत की रिपोर्ट भेजें.
मीणा ने बताया कि मानसिक अस्पतालों में दाखिल 18 ऐसे लोगों की पहचान की जा चुकी है. उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट देने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उन अस्पतालों के चिकित्सा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है, जहां विचाराधीन कैदी भर्ती हैं. ज्यादातर कुख्यात अपराधी हैं.’’ पकड़े जाने के डर से अब डॉक्टरों ने ऐसे विचाराधीन कैदियों को अस्पताल से छुट्टी देना शुरू कर दिया है.
पीएम मोदी ने दिए थे संकेत
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी चुनाव में इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने मऊ की चुनावी रैली में 27 फरवरी को कहा था कि यूपी की जेलें अपराधियों के लिए महल बन गयी हैं, जहां उन्हें हर तरह की सुविधा मिलती है. मोदी ने कहा था कि गैंगस्टरों को मुस्कुराते हुए और फोटो सेशन कराते देखा जा सकता है.
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