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Uttarkashi Avalanche: अपने बच्चों की तलाश में भटकते घरवाले,नहीं मिल रही खबर

भातिसीपु के हेलीपैड और कैंपस में पीड़ित अभिभावकों को जाने की इजाजत नहीं है.

Published
भारत
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उत्तरकाशी (Uttarkashi) द्रौपदी डांडा-2 एवलॉन्च हादसे के तीसरे दिन भी घरवाले अपनों की तलाश में भटक रहे हैं, परेशान लोग कभी मातली हेलीपैड, जिला अस्पताल तो कभी नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में भटकते फिर रहे हैं, लेकिन अपनों की कोई जानकारी नहीं मिल रही. एक पिता जो तीन दिनों से अपने बेटे की तलाश में है उसने बताया-

बेशक प्रकृति ने हमारे साथ क्रूर व्यवहार किया, जिसके लिए हम किसी को दोष नहीं दे रहे हैं. लेकिन प्रशासन हमारे साथ गलत व्यवहार कर रहा है, पहले ही हम अपने बच्चों के जीवित रहने की आस छोड़ चुके हैं.
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भातिसीपु हेलीपैड और कैंपस में अभिभावकों को जाने की इजाजत नहीं है. जब भी वायुसेना का हैलीकॉप्टर आता है तो अपने बच्चों को जिंदा देखने की आस में अभिभावक यही प्रार्थना करते हैं कि काश उनका बच्चा सुरक्षित आ जाए.

मातली भातिसीपु के कैंपस के बाहर शिमला के रहनेवाले संतोष कैंथला ने बताया कि उनका 27 साल का बेटा शिवम कैंथला 22 सितंबर को उत्तरकाशी के नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में एडवांस कोर्स के लिए आया था, लेकिन वह अब कहां और किस हालत में है, इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है.

उन्होंने बताया कि द्रौपदी डांडा में हिमस्खलन की घटना की जानकारी उन्हें मंगलवार को टीवी समाचार के माध्यम से मिली. समाचार सुनने के बाद वो अपने साथियों को लेकर रात में ही उत्तरकाशी आये, बुधवार सुबह 8 बजे वह उत्तरकाशी पहुंचे और सबसे पहले निम गये, जहां निम के कर्मचारियों से मुलाकात की, लेकिन उनको इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई,

उन्होंने बताया कि हमें कहा गया कि मातली हेलीपैड जाये, वहां से जानकारी मिल पाएगी, लेकिन मातली में भी कोई जानकारी नहीं मिल पायी. वहीं इस हादसे में देश के अन्य राज्यों के लोग भी अपनों की जानकारी के लिए कंट्रोल रूम में फोन करते रहे, लेकिन जवाब नहीं मिल रहा.

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शुक्रवार को अपर जिलाधिकारी ने बताया कि सभी परिवारों को सूचना दी गयी है और आज चार शव हर्षिल से जिला अस्पताल लाए जा रहे हैं. उसके बाद शिनाख्त कर घरवालों शव सौंप दिया जाएगा.

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