ADVERTISEMENTREMOVE AD

कौन हैं लापता ‘कॉफी किंग’ सिद्धार्थ, कैसे बनाई कैफे कॉफी डे चेन?

वीजी सिद्धार्थ 29 जुलाई की रात से लापता हैं

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

कैफे कॉफी डे (CCD) के संस्थापक वीजी सिद्धार्थ 29 जुलाई की रात से लापता हैं. पुलिस के मुताबिक, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा के दामाद सिद्धार्थ सक्लेश्पुर जा रहे थे, लेकिन अचानक उन्होंने अपने ड्राइवर से मंगलुरु चलने को कहा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पुलिस ने बताया है कि सिद्धार्थ दक्षिण कन्नड़ जिले के कोटेपुरा इलाके में नेत्रवती नदी पर बने पुल के पास कार से उतर गए और उन्होंने ड्राइवर से कहा कि वह टहलने जा रहे हैं. इसके बाद से उनके बारे में कुछ भी पता नहीं चला है. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सिद्धार्थ ने हाल ही में अपने कर्मचारियों को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने आयकर विभाग के अधिकारियों द्वारा 'उत्पीड़न' की बात लिखी थी.

साल 2017 में आयकर विभाग ने सिद्धार्थ से जुड़े 20 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इसके बाद ही उनकी मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गई थीं.   

वीजी सिद्धार्थ के अब तक के सफर पर एक नजर

वीजी सिद्धार्थ का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जो करीब 135 सालों से कॉफी उगा रहा था. हालांकि शुरुआत में सिद्धार्थ का मन कॉफी इंडस्ट्री में जाने का नहीं था. उन्होंने कर्नाटक की मेंगलुरु यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री लेने के बाद अपने पिता से कुछ पैसे लिए और वह मुंबई चले गए.

इसके बाद सिद्धार्थ एक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट फर्म जेएम फाइनेंस सर्विसेज में इंटर्न के तौर पर काम करने लगे. इन्वेस्टमेंट के क्षेत्र में 2 साल का अनुभव हासिल करने के बाद सिद्धार्थ ने खुद का वेंचर खोलने का फैसला किया.

वह बेंगलुरु वापस चले गए और उन्होंने 30000 रुपये का एक स्टॉक मार्केट कार्ड खरीदा. साल 1984 में उन्होंने सीवान सिक्यॉरिटीज नाम की एक इन्वेस्टमेंट कंसल्टिंग फर्म खोली. जल्द ही उन्होंने अपने काम का दायरा ट्रेडिंग, म्यूच्यूअल फंड्स और रियल एस्टेट एडवायजरी के क्षेत्रों तक बढ़ा दिया. 15 साल बाद उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर वे टु वेल्थ सिक्यॉरिटीज लिमिटेड कर दिया.

किस तरह शुरू हुआ कैफे कॉफी डे (CCD)

साल 1993 में सिद्धार्थ ने कॉफी बीन्स को एक्पोर्ट करना शुरू कर दिया था. उन्होंने अमैल्गमैटिड बीन कॉफी की स्थापना की और कर्नाटक के हासन में एक कॉफी क्यूरिंग यूनिट खरीद ली. इस कंपनी ने एक जर्मन कॉफी रिटेलर चिबो को कॉफी बीन्स सप्लाई करना शुरू कर दिया.

चिबो ने साल 1948 में हैम्बर्ग स्थित एक 10X10 स्टोर में एक आउटलेट बनाया था. इसके बाद यह देखते ही देखते मिलियन डॉलर फर्म बन गई. सिद्धार्थ चिबो के इस सफर से काफी प्रभावित हुए थे. इस कंपनी के मालिक से मिलने के बाद उनकी इच्छा हुई कि वह भारत में अपने कॉफी कैफे की चेन बनाएं. सिद्धार्थ को अहसास हुआ कि कॉफी कप से होने वाली कमाई कॉफी बीन्स या पाउडर बेचने से ज्यादा होती है.

साल 1996 में सिद्धार्थ ने बेंगलुरु में CCD का पहला आउटलेट शुरू किया. इसकी टैगलाइन थी- ‘’अ लॉट कैन हैपन ओवर अ कप ऑफ कॉफी’’ 

इस वक्त देश में CCD के 1500 से ज्यादा कैफे हैं. अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, मार्च 2020 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष में सिद्धार्थ के कॉफी रिटेल बिजनेस ने 2250 करोड़ रुपये की सेल की उम्मीद लगाई थी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×