वंदेमातरम् गाने को लेकर विवाद खड़ा करने वालों से उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सख्त लहजे में सवाल पूछा है. नायडू ने वंदेमातरम् पर विवाद करने वालों का बिना नाम लिए पूछा कि ‘वंदे मातरम’ कहने पर लोगों को आपत्ति क्यों है?
नायडू गुरुवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित एक बुक लॉन्च इवेंट को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान नायडू ने वंदेमातरम् विवाद पर भी अपने विचार रखे. इस पर विवाद उठाने वालों से नायडू ने सवाल किया कि लोगों को वंदे मातरम् गाने या मां तुझे सलाम कहने में समस्या क्या है?
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने सवाल किया- ‘अगर मां को सलाम नहीं करेंगे तो क्या अफजल गुरु को सलाम करेंगे?
वेंकैया ने बताया वंदेमातरम् का मतलब
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रवाद को परिभाषित करने का प्रयास करने वालों का जिक्र करते हुए कहा कि वंदे मातरम् का मतलब मां की प्रशंसा करना होता है. उन्होंने कहा कि जब कोई ‘भारत माता की जय’ कहता है तो वह केवल किसी तस्वीर में किसी देवी के बारे में नहीं होता.
उन्होंने कहा, 'यह इस देश में रह रहे 125 करोड़ लोगों के बारे में है, चाहे उनकी जाति, रंग, पंथ या धर्म कुछ भी हो. वे सभी भारतीय हैं. उन्होंने हिंदुत्व पर सुप्रीम कोर्ट के 1995 के फैसले का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि यह कोई धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है.
‘हिंदुत्व भारत की संस्कृति और परंपरा है’
नायडू ने कहा, हिंदू धर्म एक संकुचित संकल्पना नहीं है, यह भारत का एक व्यापक सांस्कृतिक अर्थ है. हिंदू धर्म भारत की संस्कृति और परंपरा है, जो कई पीढ़ियों से गुजरा है. नायडू ने भारतीयों के अहिंसक प्रकृति के लिए हिंदू धर्म को कारण बताया.
उन्होंने कहा, भारत पर हमले किए गए, शासन किया गया, नुकसान पहुंचाया गया और लूटा गया, लेकिन भारत ने अपनी संस्कृति के चलते कभी किसी देश पर हमला नहीं किया. हमारी संस्कृति हमें वसुधैव कुटुम्बकम सिखाती है, जिसका मतलब है कि दुनिया एक परिवार है.
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