बैंकों का नौ हजार करोड़ रुपये लेकर भागे कारोबारी विजय माल्या को विशेष अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया है. प्रवर्तन निदेशालय(ED) ने माल्या को ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ (Fugitive economic offender) घोषित करने लिए पेटीशन लगाई थी.
माल्या अब नए कानून के तहत देश का पहला आर्थिक भगोड़ा बन गया है. अब उसकी प्रॉपर्टी अटैच (जब्त) हो सकती है.
हालांकि माल्या की दलील थी कि वह भगोड़ा अपराधी नहीं है और न ही मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल है. माल्या का कहना है कि उसे आर्थिक भगोड़ा अपराधी घोषित करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए. लेकिन कोर्ट ने माल्या की अर्जी को खारिज कर दिया.
ED ने की थी संपत्ति जब्त करने की मांग
विजय माल्या ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उसका कहना था कि कोर्ट उसकी संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई पर भी रोक लगाए.
ईडी ने अपनी याचिका में माल्या को आर्थिक अपराध में भगोड़ा घोषित करने की मांग की थी. ईडी ने अपने पहले आवेदन में कहा था कि माल्या का शुरुआत से ही कर्ज अदा करने का कोई इरादा नहीं था, जबकि उसकी कंपनी यूबीएचएल के पास पर्याप्त रिसोर्स मौजूद थे. इससे कर्ज चुकाया जा सकता था. माल्या ने जानबूझकर ऐसा किया. इसलिए उसे आर्थिक अपराधी घोषित कर उसकी प्रॉपर्टी अटैच की जाए.
माल्या ने कहा था- ‘नहीं मिलेगा भारत में इंसाफ’
बैंकों से करोड़ों रुपये का लोन लेकर विदेश भाग चुके शराब कारोबारी विजय माल्या ने कहा है कि वह बैंकों की अपनी सारी देनदारी चुकाना चाहता है.
माल्या ने कहा कि ‘मैं मीडिया में बैंक डिफॉल्ट का पोस्टर ब्वॉय बन गया हूं. राजनीति से प्रेरित इस मामले में मेरे केस की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती है. राजनीतिक लोग मुझे नए अपराधों का आरोपी बना देंगे.’
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