कैप्टन विराट कोहली एंड टीम को कड़कनाथ रिसर्च सेंटर के एक साइंटिस्ट ने कड़कनाथ मुर्गे का मांस खाने की सलाह दी है. वैज्ञानिक का कहना है कि इसमें फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत कम और प्रोटीन और आयरन की भरपूर मात्रा होती है.
कड़कनाथ रिसर्च सेंटर के प्रमुख और सीनियर साइंटिस्ट डॉ.आईएस तोमर ने इस बारे में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और विराट कोहली को बुधवार को एक पत्र भी लिखा है.
तोमर ने मीडिया में आई उन खबरों के बाद यह पत्र लिखा है जिनमें कहा गया है कि फैट और कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होने के डर से कोहली और टीम इंडिया के अन्य खिलाड़ियों ने ग्रिल्ड चिकन खाना छोड़ दिया है.
साइंटिस्ट ने कोहली को लिखी चिट्ठी
सीनियर साइंटिस्ट तोमर ने अपने पत्र में लिखा है:
‘‘फैट और कोलेस्ट्रॉल की वजह से अगर विराट कोहली और टीम इंडिया के खिलाड़ी ग्रिल्ड चिकन खाना छोड़कर शाकाहारी डाइट ले रहे हैं, तो वे बिना डरे झाबुआ का कड़कनाथ चिकन खा सकते हैं. इसमें बहुत ही कम फैट और कोलेस्ट्रॉल होता है. इसमें आयरन और प्रोटीन की मात्रा अन्य मुर्गों की तुलना में ज्यादा होती है.’’
तोमर ने पत्र में हैदराबाद के नेशनल मीट रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट की कॉपी भी भेजी है, जो आम चिकन और कड़कनाथ चिकन में मौजूद फैट-प्रोटीन-कोलेस्ट्रॉल-आयरन के अंतर को दिखाती है. पत्र में तोमर ने यह भी लिखा है कि भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्यों की जरूरत पूरी करने के लिए झाबुआ का कड़कनाथ चिकन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकता है.
बात दें कि कड़कनाथ मुर्गों के लिए मध्य प्रदेश को जीआई टैग (भौगोलिक संकेतक) करीब छह महीने पहले ही मिला है और प्रदेश में कड़कनाथ मुर्गे सबसे ज्यादा झाबुआ में ही पाये जाते हैं.
आम चिकन से कितना अलग है कड़कनाथ चिकन
- कड़कनाथ एक दुर्लभ प्रजाति का मुर्गा है
- यह काले रंग का मुर्गा होता है जो दूसरी मुर्गा प्रजातियों से ज्यादा स्वादिष्ट, पौष्टिक, सेहतमंद और कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है
- कड़कनाथ में 25 प्रतिशत प्रोटीन होता है, जबकि बाकी मुर्गों में 18-20 फीसदी प्रोटीन ही पाया जाता है
- काले रंग का होने की वजह से कड़कनाथ मुर्गे को कालीमासी भी कहा जाता है
- इसकी विशिष्ट प्रजाति होने की वजह से ही यह ब्रोइलर चिकन से तीन से पांच गुना ज्यादा दाम पर बेचा जाता है
- इसका दाम 500 रुपये किलो से शुरू होता है
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