मध्य प्रदेश के कुख्यात व्यापम घोटाले पर सियासत एक बार फिर शुरू हो चुकी है. CBI ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को क्लीन चीट दी है, मंगलवार को CBI ने विशेष अदालत के सामने चार्ज शीट पेश की. इसमें सीबीआई ने शिवराज के नाम का जिक्र नहीं किया है.
ऐसे में कांग्रेस ने CBI को कंप्रोमाइज ब्यूरो आफ इंवेस्टीगेशन (समझौता जांच ब्यूरो) बता डाला है. कांग्रेस ने कहा है कि वो व्यापम मामले में कोर्ट में निजी याचिका दायर कर 'जांचकर्ता की जांच' करवाने का आग्रह करेगी.
बीजेपी ने आरोप को राजनीति से प्रेरित बताया
कांग्रेस की आलोचना को सिरे से खारिज करते हुए बीजेपी ने कहा है कि व्यापम मामले में CBI के चार्जशीट और सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कांग्रेस पार्टी का आरोप पूरी तरह से आधारहीन और राजनीति रूप से प्रेरित है. बीजेपी ने कहा है कि झूठ को नए सिरे से पेश करके उसे कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा.
एक-दूसरे पर लगाए जा रहे इन आरोपों के बीच व्यापम और इससे जुड़े कांड के बारे में जानना जरूरी है.
व्यापम क्या है?
व्यापम, दरअसल व्या= व्यावसायिक प= परीक्षा म= मंडल से मिलकर बना है, जिसे मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जाम बोर्ड भी कहा जाता है. ये बोर्ड मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी और कॉलेजों में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा कंडक्ट करवाता था.
- साल 1971 में मध्य प्रदेश में मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए प्री-मेडिकल टेस्ट बोर्ड बनाया गया था.
- साल 1982 में इसमें इंजीनियरिंग परीक्षाओं को भी शामिल किया गया और नाम दिया गया प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड.
- साल 2007 में मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड एक्ट पास हुआ और इसे व्यापम का नाम मिला.
ऐसे में राज्य में इंजीनियरिंग कालेज, मेडिकल कॉलेज में दाखिले से लेकर कई विभाग की भर्तियों की परीक्षा व्यापम आयोजित कराता रहा है.
इससे जुड़ा 'कांड' क्या है?
इन परीक्षाओं में गड़बड़ी और फर्जीवाड़े की खबरें पहली भी आई थी. लेकिन गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद जुलाई 2013 में 20 लोगों की गिरफ्तारी के साथ पुलिस में पहली बार FIR दर्ज की गई. इसी मामले में साल 2013 में ही प्री मेडिकल टेस्ट में पास हुए 345 उम्मीदवारों के रिजल्ट रद्द कर दिए गए.
कैसे होता था फर्जीवाड़ा?
व्यापम की परीक्षाओं में परीक्षार्थियों को नकल कराने, आंसर शीट को बदल देने, फर्जी अंक दिलाने, किसी और के जगह किसी दूसरे शख्स के परीक्षा देने जैसे फर्जीवाड़े सामने आए थे. साल 2007 से करीब 1000 फर्जी नियुक्तियों की बात सामने आई थी और करीब इतनी ही संख्या में मेडिकल कॉलेजों में फर्जी दाखिले हुए थे.
सुप्रीम कोर्ट का दखल
शुरुआत में पक्ष-विपक्ष दोनों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए. सीएम चौहान ने यहां तक कहा कि उनपर आरोप सिद्ध हुए तो वो राजनीति छोड़ देंगे. उन्होंने कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाए थे.
ऐसे में साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए SIT का गठन किया था. जांच पर कांग्रेस और दूसरे दलों ने लगातार आरोप लगाए थे कहा गया कि SIT सीएम चौहान को बचाने की कोशिश कर रही है. हालांकि, इस दौरान 2 हजार से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई.
साल 2015 में सीएम चौहान भी CBI जांच के लिए राजी हो गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने SIT से इस मामले को लेकर CBI को सौंप दिया. मंगलवार यानी 31 अक्टूबर को CBI ने मामले में चार्जशीट दायर की है और सीएम चौहान का उसमें जिक्र नहीं है.
इस कांड में हुई कथित मौतें
व्यापम घोटाले को अबतक के सबसे खतरनाक घोटाले का दर्जा भी कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दिया जा चुका है. 2013 में मामले के सामने आने के बाद से इससे जुड़े 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कुछ लोगों की मौत खुदकुशी से हुई थी, तो कुछ लोगों अचानक बीमार पड़ गए थे और बाद में उनकी मौत हो गई थी. इन मौतों पर भी सवाल उठते रहे हैं. जिसका जवाब आजतक साफ-साफ नहीं मिल सका है.
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