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अयोध्या में विवाद किस भूमि को लेकर है?

अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी 9 नवंबर को फैसला सुनाएगा.

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भारत
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अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुना रहा है उसे समझना जरूरी है. 40 दिनों की यह सुनवाई भारत के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली 5 जजों की संविधान बेंच ने की. समझिए आखिर क्या है अयोध्या भूमि विवाद

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विवादित भूमि का त्रिकोणीय विवाद

अयोध्या मामला महज हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के बीच विवाद का मामला नहीं है. दरअसल इस मामले के 3 मुख्य याचिकाकर्ताओं में से दो- निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान हिंदू पक्ष से हैं. ये दोनों ही विवादित जमीन पर अपना मालिकाना हक जता रहे हैं. जहां निर्मोही अखाड़ा की दलील है कि लंबे समय से भगवान राम की सेवा करने की वजह से उसे जमीन मिलनी चाहिए, वहीं रामलला विराजमान का कहना है कि इस जमीन पर मालिकी सिर्फ देवता की ही हो सकती है.

इसके अलावा मुस्लिम पक्ष विवादित भूमि पर मुगल शासक बाबर की ओर से बनवाये गए बाबरी मस्जिद का हवाला देकर उस जगह पर अपना दावा करते आए हैं. मुसलमानों की तरफ से उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद पर मालिकाना हक के लिए मुकदमा कर रखा है.

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सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के इस्माइल फारुखी केस में अयोध्या विवाद को इन शब्दों में बयां किया था-

‘’अयोध्या भारत के उत्तरी हिस्से में स्थित उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले का एक टाउनशिप है. यह लंबे समय से एक पवित्र तीर्थस्थल रहा है क्योंकि रामायण में इस स्थान को श्री राम का जन्म स्थान बताया गया है. रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के तौर पर जाना जाने वाला ढांचा साल 1528 में मीर बाकी ने एक मस्जिद के तौर पर बनवाया था. कुछ धड़े दावा करते हैं कि यह (ढांचा) श्री राम की जन्मभूमि मानी जाने वाली जमीन पर बनाया गया था, जहां पहले एक मंदिर था. इसी के चलते लंबे समय से विवाद है.’’  

बता दें कि यहां जिस मीर बाकी का जिक्र किया गया, इतिहास में उसे बाबर के सेनापति के तौर पर जाना जाता है.

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हिंदू पक्ष की दलीलें

  • वाल्मीकि रामायण में राम का जन्म स्थान अयोध्या बताया गया है. हमें आस्था को मानना पड़ेगा, लंबे समय से हिंदुओं की अटूट आस्था है कि जिस जगह पर विवादित ढांचा था, वहीं भगवान राम का जन्म स्थान है
  • इतिहास में अयोध्या आने वाले कई विदेशी यात्रियों ने इस जगह पर हिंदू आस्था का जिक्र किया था, जन्मस्थान के बारे में लिखा था
  • 1990 में ली गईं तस्वीरों में काले खंभों पर तांडव मुद्रा में शिव, कमल, हनुमान जैसी आकृतियां दिखी थीं.
  • ASI की रिपोर्ट में जमीन के नीचे मंदिर के सबूत मिले थे

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मुस्लिम पक्ष की दलीलें

  • कोर्ट में मुकदमा सबूतों के आधार पर लड़ा जाना चाहिए, ना कि धार्मिक ग्रंथों में लिखी गई बातों के आधार पर. अयोध्या में 3 ऐसी जगहें हैं, जिनके जन्मस्थान होने का दावा किया जाता रहा है. मुस्लिमों की भी मस्जिद को लेकर आस्था है
  • विदेशी यात्रियों को स्थानीय लोगों ने जो बताया, उन्होंने (हिंदू आस्था के बारे में) लिख दिया
  • इमारत पर अरबी और फारसी में कई जगह अल्लाह लिखा गया था, जो मस्जिद की निशानी हैं
  • ASI की रिपोर्ट से जमीन के नीचे एक ढांचे का पता चला. हमारा मानना है कि वहां मस्जिद होने से पहले एक ईदगाह थी

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