जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू) के हरिवंश को राज्यसभा का नया उपसभापति चुन लिया गया है. सत्ता पक्ष की ओर से उम्मीदवार हरिवंश ने विपक्ष के उम्मीदवार बी.के. हरिप्रसाद को 20 वोटों से हराया. हरिवंश को 125 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बीके हरिप्रसाद को 105 वोट मिले.
कौन हैं हरिवंश?
- हरिवंश का जन्म 30 जून 1956 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था.
- उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है.
- उन्होंने अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की
- बाद में वह झारखंड के रांची में शिफ्ट हो गए.
- 80 के दशक में हिंदी पत्रिका धर्मयुग से पत्रकारिता की शुरूआत की.
- इसके बाद वह बैंक ऑफ इण्डिया में सरकारी अधिकारी के तौर पर नियुक्त हुए.
- बाद में सरकारी बैंक की नौकरी छोड़कर फिर से पत्रकारिता शुरू की.
- साल 1989 में हरिवंश ने रांची से छपने वाले प्रभात खबर अखबार में नौकरी की, बाद में इसी अखबार में संपादक के तौर पर सेवाएं दीं.
- साल 2014 में जेडीयू से राज्यसभा का सदस्य बनने के बाद उन्होंने प्रभात खबर के संपादक के पद से इस्तीफा दे दिया.
- फिलहाल वह जेडीयू से राज्यसभा सांसद हैं.
- राज्यसभा में उनका कार्यकाल अप्रैल 2014 से अप्रैल 2020 तक रहेगा
- हरिवंश नारायण सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर के अतिरिक्त सूचना सलाहकार भी रह चुके हैं.
पीएम मोदी ने हरिवंश को लेकर क्या कहा?
राज्यसभा के उपसभापति चुने जाने पर पीएम मोदी ने हरिवंश को जीत की बधाई दी. पीएम मोदी ने कहा, 'आज भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ का भी महान दिन है. हरिवंश जी कलम की प्रतिभा के धनी हैं और बलिया के हैं. सभी जानते हैं कि आजादी के आंदोलन में बलिया की भूमि का अहम योगदान रहा है.'
पीएम ने नए उपसभापति के पत्रकारीय कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि हरिवंश ने हैदराबाद, कोलकाता जैसे बड़े शहरों की चकाचौंध को छोड़कर तब के संयुक्त बिहार और अब के झारखंड में लौटने का फैसला किया.
हरिवंश ने अपने अखबार को भी नहीं लगने दी चंद्रशेखर के इस्तीफे की भनक
पीएम मोदी ने हरिवंश नारायण सिंह को उसूलों का पक्का बताते हुए कहा कि वह अपने पद की गरिमा को निभाना अच्छी तरह जानते हैं. पीएम ने कहा, 'हम जानते हैं कि एसपी सिंह के साथ उन्होंने काम किया, धर्मयुग में भारती जी के साथ ट्रेनी के तौर पर काम किया. दिल्ली में वह चंद्रशेखर जी के चहेते थे.’
मोदी ने कहा, ‘हरिवंश नारायण सिंह पूर्व पीएम चंद्रशेखर के करीबी थे, उन्हें उनके बारे में सारी जानकारी थी. जब चंद्रशेखर जी इस्तीफा देने वाले थे, तब ये बात भी उन्हें पहले से मालूम थी. लेकिन पत्रकारिता से जुड़े होने के बावजूद भी उन्होंने अपने अखबार को भी इसकी भनक नहीं लगने दी.’ पीएम ने कहा कि हरिवंश ने पद की गरिमा को बनाए रखा.
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