राजेश्वर सिंह फिर चर्चा में हैं. ईडी के अफसर राजेश्वर 2 जी स्पेक्ट्रम और एयरसेल मैक्सिस समेत कई मामलों की जांच कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ ही जांच को मंजूरी दे दी है. राजेश्वर सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज था और सुप्रीम कोर्ट ने पहले उन्हें जांच से इम्यूनिटी दे दी थी. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से एक सीलबंद लिफाफा मिलने के बाद उनके खिलाफ जांच को मंजूरी दे दी गई.
राजेश्वर के खिलाफ शिकायतें पहले भी दर्ज की जा चुकी हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2011 में राजेश्वर के खिलाफ अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों में लगभग ऐसी ही मिलती-जुलती शिकायतें दर्ज की गई थीं.
सात साल पहले जब राजेश्वर सिंह के खिलाफ शिकायतें दर्ज की गई थीं तो वे ईडी में डेप्यूटेशन पर थे. राजेश्वर के खिलाफ राष्ट्रपति भवन से लेकर रक्षा, कानून और अलग-अलग मंत्रालयों में शिकायतें दर्ज की गई थीं. एक शिकायत वित्त मंत्रालय में की गई थी, जिसके तहत ईडी काम करता है. मंत्रालय ने इस बारे में ईडी से सवाल भी पूछे थे. अब एक बार फिर राजेश्वर मुश्किल में फंसे हैं.
हाई प्रोफाइल केस, जिन्हें राजेश्वर ने हैंडिल किया
प्रॉविजनल पुलिस सर्विस (पीपीएस) के उत्तर प्रदेश कैडर के अफसर राजेश्वर सिंह ने 2009 में डेप्यूटेशन पर ईडी ज्वाइन किया था. लेकिन 2015 में उन्हें ईडी में औपचारिक तौर पर शामिल कर लिया गया. ईडी में अपनी पारी की शुरुआत के बाद ही उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल केस हैंडल किए हैं. इनमें 2 जी स्पेक्ट्रम केस और इससे निकले एयरसेल-मैक्सिस केस शामिल हैं.
राजेश्वर ने कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले और कोल ब्लॉक आवंटन में हुई अनियमितता की भी जांच की थी. कोल ब्लॉक आवंटन मामले ने यूपीए-2 को सरकार को हिला दिया था.
2011 में राजेश्वर सिंह के खिलाफ जो शिकायतें दर्ज कराई गई थीं उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. अपने खिलाफ शिकायतें दर्ज होने के बाद सिंह ने इस्तीफे की पेशकश की थी लेकिन इस्तीफा नहीं दिया था.
इस बीच, सुब्रमण्यम स्वामी ने राजेश्वर सिंह को प्रोटेक्शन देने के लिए याचिका दायर की थी. सिंह को जांच से इम्यूनिटी दे दी गई थी. चूंकि सिंह एयरसेल-मैक्सिस, 2जी स्पेक्ट्रम केस समेत कई मामलों की जांच कर रहे थे इसलिए नवंबर 2017 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने इम्यूनिटी दी थी. हालांकि इस साल 27 जून ने केंद्र से एक गुप्त सूचना मिलने के बाद सिंह को मिली यह इम्यूनिटी खत्म कर दी गई. अब उनके खिलाफ जांच होगी.
सुब्रत राय सहारा और जर्नलिस्ट उपेंद्र राय के खिलाफ सिंह का मुकदमा
राजेश्वर सिंह मई 2011 में सहारा ग्रप के चीफ सुब्रत राय, पत्रकार उपेंद्र राय और सुबोध जैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए थे. उपेंद्र राय पर राजेश्वर सिंह को निजी सवाल भेजने के आरोप थे. इनमें सिंह की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कए गए थे.
राय और जैन पर सिंह के खिलाफ कई मंत्रालयों में एक जैसी शिकायतें करने का आरोप था. सिंह का कहना था उपेंद्र राय का यह कदम कोर्ट की अवमानना है क्योंकि सहारा समूह के खिलाफ जांच को सुप्रीम कोर्ट मॉनिटर कर रहा है. सहारा समूह के कई सौदों की जांच हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में कहा कि राय के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा कि उनके खिलाफ क्यों न कार्रवाई की जाए. इसके साथ ही सहारा इंडिया न्यूज नेटवर्क और इसके सहयोगी चैनलों, प्रकाशनों को सिंह से जुड़ी कोई भी स्टोरी छापने या प्रसारित करने से रोक दिया गया. अवमानना का मुकदमा अब भी पेंडिंग है.
खबरों के मुताबिक सहारा समूह ने सुबोध जैन को कथित तौर पर अपनी सेवा से हटा दिया था लेकिन इसके बाद भी जैन राजेश्वर के खिलाफ विभिन्न मंत्रालयों में शिकायतें दर्ज कराते रहे. इन शिकायतों में कहा गया था कि राजेश्वर सिंह कॉरपोरेट ब्लैकमेलिंग करते हैं. उनकी संपत्ति उनकी आय से मेल नहीं खाती.राजेश्वर सिंह के खिलाफ रजनीश कपूर की हाल की पीआईएल ये मुद्दे उठाए गए थे.
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