ADVERTISEMENTREMOVE AD

योगी सरकार को क्यों आई पलायन की याद, कैराना चुनाव तो वजह नहीं?

यूपी विधानसभा चुनाव में भी गर्म था सांप्रदायिक पलायन का मुद्दा

Published
भारत
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

उत्तर प्रदेश में हाल में हुए लोकसभा उपचुनावों में बीजेपी हार से उबरने के लिए सांप्रदायिक कार्ड खेलने के मूड में आती दिख रही है. जिसको देखते हुए कैराना लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शासन काल में हुए हिंदुओं का पलायन याद आने लगा है.

राज्य के गृह विभाग की तरफ से डीजीपी और डिवीजनल कमीशनर को पत्र लिखकर सांप्रदायिक पलायन के संबंध में जानकारी मांगी गयी है. शासन द्वारा जारी पत्र में अधिकारियों से इस संबंध में कोई कार्रवाई न करने पर भी सवाल पूछा गया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

गृह विभाग ने 28 फरवरी 2017 तक राज्य में हुए सांप्रदायिक पलायन को लेकर सूचना मांगी है. पत्र में किसी खास धर्म का जिक्र नहीं, बल्कि सांप्रदायिक दंगों के कारण हुए पलायन पर सवाल किए गए हैं.

क्यों याद आया पलायन?

प्रदेश के शामली जिले के कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव होना है. यहां से सांसद रहे बाबू हुकूम सिंह का कुछ महीने पूर्व बीमारी के चलते निधन हो गया था.

बाबू हुकूम सिंह ने 30 मई 2016 को में शामली के कैराना और कांधला में सांप्रदायिक दंगों के चलते हुए पलायन का मुद्दा उठाया था. बीजेपी एक बार फिर सांप्रयादिक पलायन के मुद्दे के गरमा कर वहां होने वाले उपचुनाव में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण करने में जुटी है.
यूपी विधानसभा चुनाव में भी गर्म था सांप्रदायिक पलायन का मुद्दा
कैराना से बीजेपी सांसद हुकुम सिंह का पिछले दिनों हुआ निधन
(फाइल फोटोः ANI)
0

विधानसभा चुनाव में भी गर्म था सांप्रदायिक पलायन का मुद्दा

विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिलने में कैराना पलायन मुद्दा भी अहम रहा था. खुद को हिंदुत्व का मसीहा और बीजेपी के फायरब्रांड नेता कहलाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत बीजेपी कई बड़े नेता विधानसभा चुनाव 2017 में सांप्रदायिक दंगों के कारण हुए पलायन पर खुल कर बोले थे. इतना ही नहीं बल्कि राजनाथ सिंह कैराना में परिवर्तन रैली के दौरान सांप्रदायिक मुद्दे पर खूब गरजे थे.

मानवाधिकार आयोग ने भी लिया था मामले का संज्ञान

केंद्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने भी सांप्रदायिक पलायन की जांच करने कैराना पहुंची थी. टीम ने तत्कालीन डीएम और एसपी से मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी थी. प्रशासन की जांच ने सांसद हुकूम सिंह की सूची को झूठला दिया था, लेकिन केंद्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने भी कैराना में दहशत का माहौल होने की पुष्टि की थी.

ये भी पढे़ं- OPINION : इन हालात में दलित सड़क पर नहीं उतरता तो आखिर क्या करता?

ADVERTISEMENTREMOVE AD
यूपी विधानसभा चुनाव में भी गर्म था सांप्रदायिक पलायन का मुद्दा
योगी सरकार को कैराना चुनाव की वजह से तो याद नहीं आ रहे पलायन के मुद्दे
(फोटो: द क्विंट)
ADVERTISEMENTREMOVE AD
सांप्रदायिक पलायन को तूल पकड़ता देख 19 जून 2016 को हिंदू महासभा के अध्यक्ष चक्रपाणी जी महाराज और आचार्य प्रमोद कृष्णम के अगुवाई में संतों का एक दल भी कैराना में सांप्रदायिक दंगों के चलते हुए हिंदूओं के पलायन की जांच करने पहुंचा था. 
ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है कैराना का विवाद?

दरअसल, कैराना से बीजेपी सांसद रहे हुकूम सिंह का आरोप था कि मुसलमानों के डर से कैराना से बड़ी संख्या में हिंदू पलायन कर रहे हैं. बीजेपी सांसद ने एक सूची जारी की थी जिसके मुताबिक, कैराना से 346 हिंदू परिवारों ने सांप्रदायिक दंगों के कारण दूसरे राज्यों में पलायन किया था. हालांकि यूपी के तत्कालीन डीजीपी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था.

आंकड़ों की माने तो कैराना की कुल आबादी करीब 1 लाख 77 हजार है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, कैराना में 80 फीसदी मुस्लिम और 20 फीसदी हिंदू परिवार हैं.

दरअसल, कैराना संसदीय सीट पर उपचुनाव उत्तर प्रदेश का सियासी गठबंधन की गांठों की मजबूती भी तय करने वाला है. ऐसे में बीजेपी ‘कैराना’ कार्ड के सहारे इस गठबंधन की गांठें कमजोर करने में जुट गई है. लिहाजा कैराना सिर्फ उपचुनाव नहीं होगा बल्कि राज्य की आगामी सियासी सतरंज के मोहरे भी तय करेगा.

ये भी पढ़ें-BJP को हराने के लिए SP का दांव, ‘कृष्ण’ को चाहिए ‘सुदामा’ का साथ

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×