सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी के तलाक मामले में अहम फैसला सुनाया है. अगर पत्नी बिना किसी कारण पति पर माता-पिता से अलग रहने का दबाव डालती है तो पति तलाक ले सकता है. यह फैसला एक दंपत्ति के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिया.
इस मामले में पहले निचली अदालत ने पति के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन पत्नी के हाईकोर्ट में चुनौती देने पर मामला पत्नी के पक्ष में आ गया. इसके बाद जब पति ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी, तो सुप्रीम कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला देते हुए कहा -
माता-पिता का ख्याल रखना भरतीय संस्कृति का हिस्सा है. कोई बेटा यह बर्दाश्त नहीं करेगा कि पत्नी उसके माता-पिता से अलग रहना चाहे.सुप्रीम कोर्ट
पत्नी की क्रूरता
मौजूदा मामले में पत्नी ने पति पर माता-पिता से अलग रहने का दबाव डाला ताकी वह पति की सैलरी का पूरा इस्तेमाल कर सके. इसी मामले में पत्नी खुदकुशी करने की कोशिश भी की और पति पर किसी दूसरी लड़की के साथ संबंध का आरोप भी लगाया. इन सब हरकतों को कोर्ट ने गलत माना और फैसला पति के पक्ष में सुनाया.
जस्टिस ए आर दवे और एल नागेश्वर राव की बेंच ने कहा कि माता-पिता बेटे की बचपन से लेकर बड़े होने तक परिवरिश करते है, शादी के बाद बेटे का नैतिक और कानूनी दायित्व होता है कि वह अपने माता-पिता का ख्याल रखे.
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