सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि पत्नी कोई ‘चल संपति' या ‘वस्तु' नहीं है और कोई पति अपनी पत्नी को साथ रहने के लिए उस पर दवाब नहीं बना सकता है. ना ही उसे मजबूर कर सकता है. एक महिला की तरफ से पति पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए दायर केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया.
‘महिला कोई वस्तु नहीं’
महिला ने अपने आरोप में कहा था कि उसका पति चाहता है कि वह उसके साथ रहे लेकिन वह उसके साथ नहीं रहना चाहती है.
जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने अदालत में महिला के पति से कहा, ‘‘वह एक चल संपत्ति नहीं है. आप उसे मजबूर नहीं कर सकते. वह आपके साथ नहीं रहना चाहती हैं. आप कैसे कह सकते हैं कि आप उसके साथ रहेंगे.”
कोर्ट का सख्त आदेश, फिर से विचार करें
बेंच ने महिला के वकील के जरिए पति के साथ नहीं रहने की इच्छा वाले बयान को देखते हुए उसके पति से पत्नी के साथ रहने के फैसले पर फिर से विचार करने को कहा. अदालत ने कहा, ‘‘आपके लिए अपने फैसले पर फिर से विचार करना बेहतर होगा.”
व्यक्ति की ओर से पेश वकील से सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘‘आप इतना गैरजिम्मेदार कैसे हो सकते हैं? वह महिला के साथ चल संपत्ति की तरह व्यवहार कर रहे हैं. वह एक वस्तु नहीं है.'' इस मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 11 अक्टूबर 2017 को एतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ यौन संबंध रेप माना जाएगा. अगर पत्नी ने एक साल के भीतर शिकायत की, तो सजा भी हो सकती है.
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(इनपुटः PTI से)
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